बुधवार, 16 मई 2012

धार्मिक भावना

धार्मिक भावना 
१- अन्य सामान्य अतिक्रमणों के विपरीत जब कभी वैध / अवैध मंदिर तोड़े जायेंगे तो उनका प्रखर -प्रबल विरोध होगा | कहा जायगा -यह जनता की धार्मिक भावना पर चोट / प्रहार / कुठाराघात है | इसलिए मेरा सुझाव है कि मंदिरों के न बनने देने को सेकुलर सरकार को अपनी धार्मिक भावना बना लेनी चाहिए और उसे इसी प्रकार प्रदर्शित / व्यवहृत करना चाहिए | अर्थात  उसे कहना चाहिए कि मंदिर बनने से उसकी धार्मिक भावना को चोट लगती है | सचमुच , हर मंदिर उसकी छाती पर मूसल समान होना चाहिए |
२- मैं सत्संगों में भाग नहीं लेता क्योंकि वहां मेरी धार्मिक भावना आहत होती है | संत और उनके भक्त ईश्वर -अल्ला चिल्लाते हैं ,जो मेरी उस आस्था के विपरीत है कि ' ईश्वर नहीं है ' |

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें