शनिवार, 26 मई 2012

कुछ ख़ास नहीं


[ कथा भूमि ]     कुछ ख़ास नहीं

मैंने ' क ' की तारीफ की तो ' क ' ने ' ख ' को बताया | मैंने ' ख ' की तारीफ की तो उसने ' ग ' को बताया | मैंने ' ग '  की प्रशंसा की तो उसने ' ज्ञ ' को चहक कर बताया की अमुक मेरी बड़ाई कर रहा था | मैंने ' ज्ञ ' की बड़ाई की तो उसने ' क ' के कान में फुसफुसा कर कहा कि फलाने तो मुझे पसंद करते हैं | ' क ' ने ठहाका लगाया और बोली - पगली उसकी बात पर न जा , उसने सबसे पहले मुझसे भी यही बात कही थी |

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