शनिवार, 26 मई 2012

प्रिय संपादक

जो मैंने ' प्रिय संपादक '[पत्र मासिक] , के ज़रिये अस्सी के दशक से करना शुरू किया था , उसे फेस बुक और ट्विटर ने अब करके दिखा दिया | मेरी सोच और परिकल्पना असफल नहीं गयी , ऐसा मैं कह सकता हूँ, अपने मुंह मियाँ मिट्ठू बन सकता हूँ |

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