ताड़न के अधिकारी
हर चीज़ का एक स्थान होता है , और वह वहीँ शोभा देता है | सिन्दूर को माँग की बजाय औरत यदि नाक पर लगा ले तो वह हास्यास्पद ही लगेगी | अब मान लीजिये हम तय करें कि छात्रों को धर्मग्रंथों के अंश पढ़ाए जायं , तो क्या हमारे विशेषज्ञ राम चरित मानस का वह अंश पाठ्य पुस्तक में डाल दें कि :- " ढोल गवांर शूद्र पशु नारी , ये सब ताड़न के अधिकारी | " और यदि हम कुछ बोल दें , एतराज़ कर दें तो हमसे कहा जायगा - "चुप रहो, यह गोस्वामी की अभिव्यक्ति और काव्य -कला और साहित्यकार की स्वतंत्रता का प्रश्न है , ? " | मित्र बताएँ क्या मैं संकुचित जातिवादी धारणा से ग्रस्त हूँ ?
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