१ - एक कवि , या एक सामान्य संवेदनशील व्यक्ति की हैसियत से ज़रा ईमानदारी से बताइए कि अन्ना के आन्दोलन से- समाज में क्या कोई सकारात्मक वातावरण बना है ? ईमानदारी के प्रति आकर्षण का माहौल , कर्तव्य निष्ठां की भावना का संचार या विकास हुआ है ? जवाब नहीं में है । उलटे इस से कई नकारात्मक प्रभाव जन्मे जिनमे से कुछ इस प्रकार रखे जा सकते हैं :-
- विश्व भर में भारतीय जनता का उपहास हुआ । कि भारतीय जनता जैसे राम के नाम पर बटोरी जा सकती है , वैसे ही भ्रष्टाचार के मुद्दे पर । दोनों में कोई गुणात्मक अंतर नहीं है । यही गुजरात और चौरासी के दंगे कर सकती है , यही अन्ना मेले में चली जाती है और संसद , सांसदों क घेराव करने लगती है ।
- जनता लोकतांत्रिक प्रणाली में प्रशिक्षित तो हुयी नहीं , जिसकी बड़ी ज़रुरत थी । उलटे उसने लोकतंत्र , संसद और संविधान के प्रति गहरी घृणा पाल ली । यह सबसे बड़ा नुकसान था जो इस आन्दोलन से हुआ । गौर करें ,तो भ्रष्टाचारियों के प्रति भी कोई उबकाई इसे नहीं आई । आई तो ज्यादा से ज्यादा कांग्रेस पार्टी पर ,जिसका कोई ख़ास अर्थ नहीं । सारी गाज संसद पर गिरी ।
- व्यक्ति के पीछे पिछलग्गूपन हमारे पिछड़ेपन की निशानी छोड़ गया । अन्ना ने जो कहा वह हाँ हो गया । आगे पीछे कुछ नहीं सोचा उनकी भीड़ ने । अतार्किकता , अन्धानुकरण ,देश को बहुत पीछे ले गया ।
- अनशन के औज़ार क निजी जिद के इस्तेमाल ने गाँधी का अपमान ही किया ।
- क्रांति के सपने देखने वाले लोगों और कार्यकर्ताओं को हताशा हुयी । यह आन्दोलन बदलाव के लिए काम करने वाली शक्तियों पर कुठाराघात था । इसने सेफ्टी वाल्व का काम किया ।
- वन्दे मातरम , भारत माता , गाँधी टोपी सबका इसने मजाक बनाया । आन्दोलन को एक उत्सव भर का काम लिया गया । उनका काम तो पूरा हुआ पर देश के चरित्र को बड़ी क्षति पहुँची ।
२ - अब सोचना यह है कि इनका प्रतिकार कैसे किया जाय ? एक उपाय तो पहले से मेरे मस्तिष्क में है कि आमरण अनशन की धमकी को गाँधी जी के बाद अब विदा कर दिया जाय । अब यदि कोई ऐसा कर्ता है तो उसे सहर्ष मृत्यु को प्राप्त होने दिया जाय । सरकार को उनके जीवन को बचाने की ज़िम्मेदारी से मुक्त करने के लिए Right to die of hunger strike का बिल लाया जाय और पास कराया जाय । आंबेडकर की सलाह मानी जाय ।
३ - दूसरा सुझाव यह बनता है कि मग्सैसे अवार्ड और उसके प्राप्त कर्ताओं का बहिष्कार किया जाय , यहाँ तक कि जो इसे प्राप्त करने की लालसा में कार्य रत हैं , उनका भी परित्याग करें । ##इति
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें