१ - आतंक का मामला , धर्म का मामला है । पूर्ण शुभ धार्मिक कृत्य है यह उनके लिए जो इतने धार्मिक हैं और तन - मन से संलग्न , उन्हें धर्म की कोई और परिभाषा समझाने का कोई मतलब नहीं । अतः , आतंक के विरुद्ध बोलने पर धर्मनिन्दा हो जायगी ।इसलिए हम क्यों बोलेंबोलकर होगा भी क्या जब सच्ची बात न बोल पायें ? हम कुछ लोगों के स्वर में कौन स्वर मिलाता है धर्म और ईश्वर के खिलाफ ? तो फिर झेलना तो होगा ही आतंक की पीड़ा को !
२ - भारत में आतंक को कुछ घटाने के लिए और उसके खिलाफ लड़ाई कुछ सफल बनाने के लिए एक राजनीतिक तरीका भी सुझाव में है । वह यह किभारत को पाकिस्तान में [बांग्ला देश समेत] मिला दिया जाय । फिर हमारे ऊपर आतंक पाकिस्तान पर आतंक हो जायगा और वह लडेगा उस से #
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