मैं जानता हूँ कि तुम न मेरे ,
मगर हो मेरे लगे तो ऐसा ।
कहीं गगन में वह दूर बैठा,तमाम हिकमत चला रहा है ।
यहाँ जहाँ में किसी को मुस्लिम,किसी को हिंदू बना रहा है ।।
मैं जानता हूँ कि वह नहीं है,
मगर वही है लगे तो ऐसा ।। (1)
मैं चाँदनी हूँ तू चाँद होगा ,मैं चाँद हूँ तो तू चाँदनी है ।
मगर ये किस्सा है चार दिन का ,तू चाँद है तू ही चाँदनी है।।
भले उजाला कहीं नहों है
मैं रोशनी हूँ लगे तो ऐसा ।। (2)
ये आँधियाँ है आयीं तो आयीं, ये आँधियाँ है चली भी जाएँ,
मगर तुम्हारी यादें सनम जी ,मेरी तो सब साँसों में समायें ।
ये मेरी साँसें नहीं हैं मेरी,
मगर हैं मेरी लगे तो ऐसा ।। (3)
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