१ - नाटक शुरू होने से पहले घोषणा की जाती है कि हम अपनी मोबाइलें बंद कर देन । हम तो बंद कर देते हैं , पर आयोजकों से कहना है कि मोबाइलें अगर नाटक कर पात्रों को बाधित करती हैं , तो हाल के बीच बीच में खड़े अनेक
फोटोग्राफर और वीडिओ ग्राफ़र भी दर्शकों को बाधा पहुचाते हैं । #
२ - कहाँ मिलती है अपनी चाही हुयी सच्चाई ! अनचाही सच्चाईयाँ ज्ञान के लिए ज्यादा फायदे मंद होती हैं । #
३ - गांधी वादी बन ने में सब दिक्कत महसूस करते हैं । लोग जन फटाक से अपनी ऊर्जा -उत्साह और आन्दोलन की तुलना चन्द्र शेखर आज़ाद , भगत सिंह से करने लगते हैं । #
४ - अगर सभ्य आदमियों की व्यक्तिगत स्वतंत्रता छीनी जायगी , तो जंग के हालात बनते जायंगे । #
५ - [सं-बाल्कन वूमन नाटक] * युद्ध की विभीषिका देखकर कोई युद्ध विरत नहीं होता । उलटे वह युद्ध रत भी हो सकता है , जो वह अब तक नहीं था । #
६ - कलाएँ तो गरीबी में ही पलती पुसती हैं । गरीबी न हो तो आदमी को खुरपेंच गढ़ने की ज़रुरत ही न पड़े । #
######
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें