शुक्रवार, 23 सितंबर 2011

कहना - सुनना

- नाटक शुरू होने से पहले घोषणा की जाती है कि हम अपनी मोबाइलें बंद कर देनहम तो बंद कर देते हैं , पर आयोजकों से कहना है कि मोबाइलें अगर नाटक कर पात्रों को बाधित करती हैं , तो हाल के बीच बीच में खड़े अनेक
फोटोग्राफर और वीडिओ ग्राफ़र भी दर्शकों को बाधा पहुचाते हैं । #

- कहाँ मिलती है अपनी चाही हुयी सच्चाई ! अनचाही सच्चाईयाँ ज्ञान के लिए ज्यादा फायदे मंद होती हैं । #

- गांधी वादी बन ने में सब दिक्कत महसूस करते हैंलोग जन फटाक से अपनी ऊर्जा -उत्साह और आन्दोलन की तुलना चन्द्र शेखर आज़ाद , भगत सिंह से करने लगते हैं । #

- अगर सभ्य आदमियों की व्यक्तिगत स्वतंत्रता छीनी जायगी , तो जंग के हालात बनते जायंगे । #

- [सं-बाल्कन वूमन नाटक] * युद्ध की विभीषिका देखकर कोई युद्ध विरत नहीं होताउलटे वह युद्ध रत भी हो सकता है , जो वह अब तक नहीं था । #

- कलाएँ तो गरीबी में ही पलती पुसती हैं । गरीबी हो तो आदमी को खुरपेंच गढ़ने की ज़रुरत ही पड़े । #
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