शुक्रवार, 30 सितंबर 2011

झगड़ा [कविता]

* [कविता ] झगड़ा
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मैं व्यक्तिवाद के विरोध में
व्यक्तिवादी हूँ , [मनीषावादी, मानुखवादी ,Individualist]
मैं इस्लाम के विरोध के सारे औज़ार
इस्लाम की ही झोली से निकालता हूँ
और हिंदुत्व का काँटा हिन्दुत्त्व से ,
उन्ही की किताबों , उपदेशों से
उनकी प्रशंसा कर्ता हूँ और
उन्हें उनका विकृत चेहरा भी
उन्ही के शीशे में दिखाता हूँ ।
इसीलिये , मैं मनुष्य , मानुख हूँ
कि मैं हिन्दू - मुसलमान .ईसाई ,कमुनिस्ट
सब एक साथ हूँ , और नहीं भी हूँ ।
ऐसे मनुष्य को परिभाषित करना
बहुत कठिन , लगभग असंभव है ,
मैं हूँ अपरिचित - अपरिभाषित
अलक्षित मनुष्य । #

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