गुरुवार, 22 सितंबर 2011

कवितायेँ

* व्यवस्था भ्रष्ट
और व्यवस्था के शीर्ष पर आप ,
तो असली भ्रष्ट
किसे कहा जाये ?
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* फिर एक खुली
पुरनिया चौराहे पर
एक स्टेशनरी की दूकान
बोर्ड पर उस वर्तनी में
जिसका अंग्रेजी में अर्थ
होता है -स्थिर '
फिर खुली उसी चौराहे पर
एक फोटोस्टेट की दूकान

बोर्ड पर स्टेट के
उस वर्तनी के साथ
जिसका अंग्रेजी में अर्थ
होता है - स्थिति या राज्य ,
फिर खुली ।
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* बिना अपराध निर्धारण में
किसी निर्णय के
सजा कैसे दोगे ?
न्याय कैसे करोगे ?
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* जैसे हम हल चल लेते हैं
वैसे ही हम
कविता भी कर सकते हैं,
नाटक भी कर सकते हैं ।
चित्र भी बना सकते हैं
औए मूर्तियाँ भी ,
प्रशासन तो क्या
अपने मुल्क का
राज्य भी चला सकते हैं ।
चलाना ही तो है
कुछ भी चला सकते हैं
हल की तरह ।
कोई नहीं है ख़ास बात
कि तुम हमसे अकड़ दिखाओ
चाहें तुम बड़े भारी कलाकार हो ,
चतुर सुजान मंत्री
या राष्ट्रपति ही क्यों नहीं !
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