रविवार, 25 सितंबर 2011

तुम्हारा ही पत्थर

*तुम्हारा ही पत्थर है
तुम्हारी ही छेनी हथौड़ी
तुम्हारी ही मूर्ति है ।

0 बड़ी मुश्किल से
भीगने का
मौका मिला था
उसने
छाता उढ़ा दिया ।

0 साँप , कोई ज़रूरी नहीं
कि काटे ,
उसके काटने का भय भी
आदमी को
मार सकता है ।

0 इसीलिए
कमाई खूब है ,
क्योंकि मँहगाई
बहुत है । (सं-पीपली लाइव)

0 भेड़ियाधसान है
सरकार बनाने के लिए
मतपत्रों का डाला जाना ,
भेड़ियाधसान ही है
सरकार के खिलाफ़
आन्दोलन किया जाना ।

0जब मैं
बाजार के लिए
निकलता हूँ
मैं ठगे जाने
लुट पिटे जाने
के लिए
तैयार रहता हूँ । 0

0* अभी कुछ कहने की मेरी तो बारी ही नहीं आई ,
न जाने क्या हुआ वह बीच में उठकर चले गए ##

0 (गीतारंभ)
यह सब द्वंद्व चला करता है ।
कभी नाव गाड़ी पर होती
गाड़ी कभी नाव पर होती,
कभी पुलिस पीटती हमें तो
कभी पुलिस हमसे भी पिटती,
हनन हंत होता रहता है ।

कभी सड़क पर कोई लड़की
बलात्कृत निश्चय ही होती,
कभी छेड़खानी का वह तो
झूठे भी आरोप लगाती ,
यह स्वच्छंद हुआ करता है ।

कोई मुनि दधीच दानी तो
अपनी हड्डी तक दे देता ,
कोई भक्त जनों को छलकर
उसका तन-मन-धन ले लेता,
फिर भी संत बना करता है ।
(कृपया इसे पूरा करें)

*गलती मेरी है जो
उधार माँग लिया ,
गलती मेरी है जो
उधार का तकाज़ा कर दिया ##

* बड़े कवि बड़े कवियों को
और आगे बढ़ाते हैं
जिससे प्रशंसित कवि
प्रशंसक कवि को
और आगे बढ़ाए
ऊँचा उठाये
बड़े कवि
बड़े बनते जाते हैं
कविता क्या होती जाती होगी ? ##

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