शुक्रवार, 23 सितंबर 2011

धर्म का गर्व

- हे भगवान् ! यदि तू है तो मुझ पर इतनी कृपा करनाकि मुझे कभी चलताऊ हिंदी फ़िल्में देखने पड़ें । #

- प्रगतिशील बुद्धिमान भी यह कहते हैं ,ईश्वर को रहने देने के पक्ष में , कि आदमी किसी के सामने विनम्र होकर सर तो झुकाता हैलेकिन सचमुच व्यवहार में ऐसा लक्षित नहीं होतायह बात सब पर लागू हो भले , पर देखा यह जाता है कि अपने को धार्मिक कहने -समझने वाला व्यक्ति एनी लोगों से , समाज में , अत्यंत अहंकारी व्यवहार करता हैशायद उसे कुछ ईश्वरीय शक्ति का दंभ हो जाता हैवह ईश्वर के समक्ष कितना ही माथा रगड़ता हो पर आप किसी भी धार्मिक शिष्य या गुरु बाबा को सामान्यतः विनम्र व्यवहार करते नहीं पायेंगे , या बहुत कम पाएंगे ।#

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