१ - हे भगवान् ! यदि तू है तो मुझ पर इतनी कृपा करना । कि मुझे कभी चलताऊ हिंदी फ़िल्में न देखने पड़ें । #
२ - प्रगतिशील बुद्धिमान भी यह कहते हैं ,ईश्वर को रहने देने के पक्ष में , कि आदमी किसी के सामने विनम्र होकर सर तो झुकाता है । लेकिन सचमुच व्यवहार में ऐसा लक्षित नहीं होता । यह बात सब पर लागू न हो भले , पर देखा यह जाता है कि अपने को धार्मिक कहने -समझने वाला व्यक्ति एनी लोगों से , समाज में , अत्यंत अहंकारी व्यवहार करता है । शायद उसे कुछ ईश्वरीय शक्ति का दंभ हो जाता है । वह ईश्वर के समक्ष कितना ही माथा रगड़ता हो पर आप किसी भी धार्मिक शिष्य या गुरु बाबा को सामान्यतः विनम्र व्यवहार करते नहीं पायेंगे , या बहुत कम पाएंगे ।#
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