शनिवार, 3 सितंबर 2011

लोकभाषा गीतिका

1 मुक्तक
दुखवा कासे अब कही
हुआ सब दही रे दही
बेटी को दान में दिया
बेटे को बहू ले गयी
2 फिर से कहो
हाँ तो तूँ का कहत रह्यू
हम तनी लरिकवन मा बाझि रहेन
नाईं सुन पायेन काव कह्यू
हाँ तो तूँ का कहत रह्यू
तनी फिर से कहो---
जा कां बजारे रहा एतना सुन लीं
लावे कां काव रहा इहो कुछ सुन लीं
कौनो दवइयो कै नाव लेत रह्यू
हाँ तो तूँ का कहत रह्यू
तनी फिर से कहो---
तु हूँ तो कहत रहला एरियर पाइब
तोहका रानी हम झुमका गढ़इब
कौनो साड़ियू कै नाव लेत रह्यो
हम तनी बरतन मा बाझि रहेन
नाईं सुन पायेन काव कह्यू
हाँ तो तूँ का कहत रह्यू
तनी फिर से कहो---

3 अँगुठिया हेरान
अँगुठिया हेरान बाटे घास मा
हम ढूँढित है आकास मा
जेतना हेरित है ई वतनै लुकाला
उपरैं रहल जवन भुइँ मा छिपाला
केहि विधि लाई प्रकास मा
हम ढूँढित है आकास मा
जौन जहाँ बाटे वहका वहीं रहे देईं
वहमा उलझाइ कै जान काहे देईं
अंगुठिया कै नगा मोरे पास मा
हम ढूँढित है आकास मा
4 करेजवा के आरी-आरी
केऊ बा लुकान हो करेजवा के आरी
दिया लै के ढुँढली चिराग लै के ढुँढली
केऊ ना देखान हो करेजवा के आरी-आरी
केऊ बा लुकान हो करेजवा के आरी
जब से समझली हम मनई को मनई
बैठे भगवान हो करेजवा के आरी-आरी
केऊ बा लुकान हो करेजवा के आरी
सिसवा में देखली तो दुनिया के मनइन कै
दुखवा देखान हो करेजवा के आरी-आरी
केऊ बा लुकान हो करेजवा के आरी
डील से न बड़ा कोई रूप से न भला
मनई महान हो करेजवा के आरी-आरी
केऊ बा लुकान हो करेजवा के आरी
जबकि दुनियवा में फैलल अन्धेरवा
भइल बा बिहान हो करेजवा के आरी-आरी
केऊ बा लुकान हो करेजवा के आरी
बन्द कर ली अँखियाँ तो रौंआ का देखली
गइली पहचान हो करेजवा के आरी-आरी
केऊ बा लुकान हो करेजवा के आरी
5 जग बौराना
देखो तनि साधौ जग बौराना
मन में है तृस्ना भरा सिन्धु समाना
स्वारथ सगरौ बा प्रेम न जाना
मुस्किल भइल बा मनई कहाना
देखो तनि साधौ जग बौराना
यहवाँ तो टी0वी0 धरे वहवाँ फिरिजवा
कोनवाँ सिंगारदान बिचवाँ पलंगवा
आँखियन छवि घूमे मन ललिचाना
देखो तनि साधौ जग बौराना
गोदिया में लैपटाप मेजिया कम्पूटर बा
कनवप मोबाइल बाटे हथवा सकूटर बा
पाँच कै पहाड़ा तो पहाड़ जस माना
देखो तनि साधौ जग बौराना
मुड़वा पे हैल्मेट बाटे गड़िया दुपहिया
दुअरा पे खड़ा बाटे ऐगो चौपहिया
जल्दी-जल्दी भागाताने कहाँ काँ है जाना
देखो तनि साधौ जग बौराना
हम पाइ गयेन
दुनिया जाने कि हम हेराइ गयन
ऊ का जाने कि हम का पाइ गयन
पाइ के वन का तो हम हेराइ गयन
खोइ के आपन हम सबका पाइ गयन
दुनिया में शोर बाटे एतना जोर बाटे
सुनत सुनत हम अब तो चुपाई गयन
दुनिया जाने कि हम ठगाइ गयन
हम ही जानी कि हम का पाइ गयन
कबहुँ न कहना कि हम गँवाइ गयन
सब दिन कहना कि हम सब पाइ गयन
बाप ने जब मुझको मारे का घिपवा
माई की गोद में हम दौड़ि लुकाय गयन
मूल-
लोगवे कहत हैं कि हम ठगाय गयन
मुला ऊ जाने का काव हम पाइ गयन



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