उग्रनाथ'नागरिक'(1946, बस्ती) का संपूर्ण सृजनात्मक एवं संरचनात्मक संसार | अध्यात्म,धर्म और राज्य के संबंध में साहित्य,विचार,योजनाएँ एवं कार्यक्रम @
शुक्रवार, 2 सितंबर 2011
कितनी सच्चाई कितना झूठ
* - कोई मुझे अपने साथ एक दिन एक रात रहने दे तो मैं खोल कर रख दूं कि उसकी ईमानदारी और नैतिकता में कितनी सच्चाई है और कितना झूठ ! बशर्ते वह यह न जिद करे ,अन्ना की तरह , कि जो वह कर या कह रहा है ,वही नैतिकता है , वही उचित है ।
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