शुक्रवार, 2 सितंबर 2011

कितनी सच्चाई कितना झूठ




* - कोई मुझे अपने साथ एक दिन एक रात रहने दे तो मैं खोल कर रख दूं कि उसकी ईमानदारी और नैतिकता में कितनी सच्चाई है और कितना झूठ ! बशर्ते वह यह न जिद करे ,अन्ना की तरह , कि जो वह कर या कह रहा है ,वही नैतिकता है , वही उचित है ।









कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें