शुक्रवार, 30 सितंबर 2011

कहानी शुरू

कथा भूमि :-
हा ! हा ! हा !
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- पापा , इस नौकरी के लिए मेरा चयन नहीं हुआ । हा ! हा ! हा !
- मैंने तो पहले ही कहा था ,बेटा । हा ! हा ! हा !
[वे दलित थे , या मुस्लिम ,या गरीब देहाती , बिना पैसे व पहुँच वाले लोग , और उन्हें पाता था या भ्रम था कि नौकरी के लिए गुण के अतिरिक्त बहुत सारी चीज़ें ज़रूरी होती हैं , जो उनके पास नहीं थे । इसलिए वे जॉब न मिलने के प्रति आश्वस्त थे और थे मजाकिया रूप से खुश -प्रसन्न । ]
आज सुबह पुत्री फिर एक साक्षात्कार के लिए जा रही है ।
पापा :- जाओ , लेकिन जान लो होना नहीं है । हा ! हा ! हा !
बेटी :- कोई बात नहीं पापा , घर तो है न लौटने के लिए , हा ! हा ! हा !
। ।
फिर किसी दिन वह लौटती है ।

-
पापा ,आज तो गड़बड़ हो गया - हा ! हा ! हा !
- मिल गयी न तुझे नौकरी ! हा ! हा ! हा !
- हाँ पापा , हा ! हा ! हा !
- मैंने कहा था न ! हा ! हा ! हा !
- हा ! हा ! हा ! #
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