रविवार, 30 अक्तूबर 2011

RDHS

* गौर कीजिये कि अन्ना टीम में बहुत बड़े बड़े लोग हैं , इलीट क्लास के । बिल्कुल ब्राह्मण जैसे । और ये सरकार को दबा कुचल कर अपनी बात मनवाना , अपना काम करवाना चाहते हैं । सरकार इस समय बिल्कुल दलितों की अवस्था और स्थिति में हैं । अब आप सोचिये कि हम लोगों का क्या कर्तव्य बनता है ?

* मैं तो यह देख रहा हूँ कि जन लोक पाल बिल पास होने से पहले यदि मेरे द्वारा प्रस्तावित RDHS= Right to die of hunger strike [भूभ हड़ताल द्वारा मृत्यु को प्राप्त होने या मरने का अधिकार] सम्बन्धी बिल संसद में पारित नहीं हो जाता , तब तक भ्रष्टाचार तो कैसे भी समाप्त नहीं होगा , यह आन्दोलन रुपी सामाजिक भ्रष्टाचार तो समाप्त नहीं होगा ।

* लोग कैसी कैसी गलतफहमियों में जीते हैं ! कि सरकार हो भ्रष्टाचार न हो ! जहाँ चार आदमी हों वहां स्वार्थ न हों , समाज हो और स्वार्थों का टकराव न हो ! तो भ्रष्टाचारियों का तो निश्चय ही एक स्वार्थ हो सकता है , होगा ही । लेकिन आन्दोलन कारियों का भी एक प्रति स्वार्थ अवश्य है , इसे ठीक से समझा जाना चाहिए । यह अकारण नहीं है कि तथाकथित गाँधीवादी संत अन्ना महाशय अपनी टीम का आँख मूँद कर समर्थन कर रहे हैं । #

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