रविवार, 9 अक्तूबर 2011

राजा रानी का देश

* गरीबी में इंसानियत बनी रहती है |जैसे बाढ़ में एक ही पेंड पर सांप और मनुष्य रह लेते हैं । दिमाग तो ख़राब करता है पैसा | पहले घर में फिर मन में घुसते ही |
* अल्लाह मेहरबान की महिमा तो देखिये कि आधुनिकता के चरम पर अब लड़कियों में हिजाब / परदे का भाव आ रहा है | उसका लाभ उन्हें अब समझ में आ रहा है |
* मैं तुम्हारा साहित्य वाहित्य कुछ नहीं जानता | तुम इन [गरीबों ] के बीच इन्ही की तरह रहो , तो मैं मान लूँगा तुम साहित्यकार हो | मैं तुम्हारे मोटे उपन्यास , कविता संग्रह कुछ नहीं जानता |
* भ्रष्टाचार के खिलाफ लडाई का एक यह भी तरीका है कि ज्ञात भ्रष्टाचारी , संबंधी , मित्र , पड़ोसी का भरसक तिरस्कार , हर संभव बहिष्कार किया जाय |
* मैं किसी को जल्दी 'बेवकूफ ' नहीं कहता । मुझे 'मूर्ख ' शब्द ज्यादा अच्छा लगता है ।
* राजा रानी का देश
यह देश राजा रानी पसंद करता है | वह भगवान को भी राजा के रूप में देखना , पूजना चाहता है | पुरुषोत्तम राम राजा थे , श्री कृष्ण राज घराने से थे , रानी विक्टोरिया भी राज करके चली गयीं , रियासतों के राजा टोडरमल स्वीकार्य थे , भगवान रजनीश राजसी ठाट से रहते थे , गौतम बुद्ध भी राजकुमार सिद्धार्थ थे , इत्यादि | सोनिया गाँधी की सफलता का राज़ भी यही भारतीय मानसिकता है | मायावती के प्रशंसक उनके जेवर - चप्पल और श्रृंगार पर फ़िज़ूल खर्ची को बिल्कुल गलत नहीं मानते | राजा शाही , रानी शहंशाही से इस मुल्क को कोई एतराज़ नहीं है | राजा कि ऐयाशी भी उसे स्वाभाविक रूप से ग्राह्य है | अमेठी के राजा संजय सिंह , या राजा भैया के आन - बान शान पर इतने थपेड़ों के बाद भी क्या कोई फर्क पड़ा ? नहीं , पड़ेगा ही नहीं | हिन्दुस्तान राजा रानी पसंद देश है | इसे यह विदेशी लोकतंत्र सेकुलरवाद की अवधारणा अटपटी लगती है | इसीलिये वह चुनाओं में भी राजाओं , पुराने या नव धनाढ्यों और बलवानों को ही वोट देता देता है | वह स्वयं भले दरिद्र रहे पर अपने राजा को तो वह भगवान स्वरुप ही देखना चाहता है | #

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