मंगलवार, 18 अक्तूबर 2011

अन्ना की टीम

* सत्तर के दशक में जिस प्रकार श्रीमती इंदिरा गाँधी ने गरीबी हटाओ का नारा दिया था , उसी प्रकार जब अन्ना ने एक असंभव काम , भ्रष्टाचार मिटाओ , का नारा दिया , और वह भी केवल उनके जन लोकपाल बिल के माध्यम से , तभी मेरे कान खड़े हो गए थे | ज़रूर दाल में काला है | लेकिन भारतीय जनता का क्या , वह तो लोलीपोप पर मचल जाती है , बल्कि आश्वासनों पर जिंदा रहने की आदी हो गयी है | वह छुपे एजेंडों को नहीं समझ पाती | अब अन्ना टीम की चाभी कहाँ है , कौन है , दिखने लगा है | उनकी नीयत शुरू से राजनीतिक थी ,जिसे हमने उनकी जिद , और अब चुनाव प्रचार में देखा , वरना वे असंभव काम हाथ में न उठाते | अपनी असफलता का ठीकरा किसी अन्य पर थोपने की पूरी गुंजाईश इससे बनी रहती है , और चलती रहती है इनकी राजनीति | अन्ना कुछ भी कहें , प्रशांत भूषण उनके ही टीम के मेम्बर हैं | हिसार उपचुनाव का श्रेय उठाने की ललक पूरी तरह राजनीतिक है | अब कुछ मैग्सेसे अवार्डी टीम से हट रहे हैं , उन्हें बुद्धि आ रही है | पुरस्कृत लोग सोशल एक्टिविस्ट होते हैं , इनके पास दिमाग ज़रा कम होता है | अब बाहर हो भी जायं तो क्या संतोष ,प्रशांत ,राजेन्द्र , राजगोपाल | अरविन्द ने उनसे अपनी नीव की ज़मीन पुख्ता करने के लिए इस्तेमाल तो कर ही लिया | हम अपनी पीठ ठोंक सकते हैं कि हम अरविन्द के झांसे में नहीं आये } अभी भी हम आगाह करेंगे मीडिया को कि वह आदरणीय अन्ना को ही महत्त्व दे और अरविन्द को दरकिनार करे वर्ना यह विदेशी मग्सेसे पुरस्कृत छोकड़ा देश को विदेशी सपनों के जाल में फंसा कर उसका तहस नहस कर डालेगा | अन्ना से कुछ नहीं कहना , उन्हें भी समझ में आ रही हैं , और आ जायंगी और अनंत मौन धारण करने में ही देश की भलाई समझेंगे | ##

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