उग्रनाथ'नागरिक'(1946, बस्ती) का संपूर्ण सृजनात्मक एवं संरचनात्मक संसार | अध्यात्म,धर्म और राज्य के संबंध में साहित्य,विचार,योजनाएँ एवं कार्यक्रम @
बुधवार, 26 अक्टूबर 2011
दीवाली
* दिया जल गया तो किसी ने नहीं देखा कि दिए का आकार क्या है , क्या है उसका रंग रूप , वह मिट्टी का बना है या सोने या चांदी का , उसमे घी पड़ा है या तेल ? लोगों ने बस रोशनी देखी उन्हें रोशनी चाहिए , उन्हें रोशनी से मतलब है |
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