रविवार, 6 नवंबर 2011

भ्रष्टाचार की परिभाषा

* भ्रष्टाचार की परिभाषा होते होते यहाँ आ पंहुची है कि जो जन लोकपाल बिल पास कराये वह ईमानदार , और जो जन लोकपाल बिल पास होने में आनाकानी करे वह महाभ्रष्ट | जन लोकपाल भ्रष्टाचार का पर्याय हो गया है | अजीब विडम्बना की स्थिति है दार्शनिक हिंदुस्तान के लिए | शब्दों और समस्याओं कि इतनी हलकी व्याख्या इसके पहले नहीं होती थी | तो यह है हमारी असली प्रगति !
* केजरीवाल ने आय कर विभाग की नोटिस पर ९ लाख रु का चेक प्रधान मंत्री के पास भेज दिया है | क्या कोई साधारण समझदार नागरिक ऐसी बद तमीजी कर सकता है ? क्या बिजली का बकाया आप जल निगम में जमा कर सकते हैं | मैं इसके व्यवहार को देखकर हतप्रभ हूँ , कि आखिर यह लड़का अपने आप को समझता क्या है ? अन्ना संविधान से ऊपर , तो उनसे पहले श्रीमान जी संविधान से ऊपर ! अभी वह फोन टेपिंग का मसला उठा रहा है | उद्देश्य कुछ नहीं , सिर्फ यह जाताना कि देखो मैं इतना महत्त्वपूर्ण हूँ | और नहीं तो क्या ? अभी तो जूता और काले झंडे दिखाए गए हैं , आगे आगे देखिये क्या होता है ! उन्हें राजनीतिक विरोधी कहकर न टालिए राजनेताओं की तरह | वे उसी सौ करोड़ जनता के अंग हैं , जिनकी तरफ से आन्दोलन चलाने का तुम दावा ठोंकते हो |
इसीलिये मैं इन लोगों के दिखावे के मुद्दे से प्रभावित न होने और इनके असली मंतव्य को पहचानने और उसे धूल में मिलाने का आग्रह जनता जनार्दन से करता रहता हूँ | कुछ लोग इसे समझने से इंकार करके मुझ पर नाराज़ होते हैं , वह तो क्षम्य है | पर खेद है कि अन्ना महाशय भी इसे नहीं समझ रहे हैं , और अपनी तात्कालिक ख्याति , प्रशंसा और प्रचार की लालच में टीम की गिरफ्त में आते जा रहे हैं | वे नहीं समझते कि जब पोले खुलेगा , [ब्लॉगर विवाद से वह सामने आना शुरू भी हो गया है ] , और लोक की नज़रों में आसमान से गिरेंगे , तो उनका धवल वस्त्र मटियामेट हो जायगा | उनकी चांदनी चार दिनों से ज्यादा नहीं है | वे गौर करें कि यही कारण है कि अन्ना के अलावा उनकी टीम के अन्य सदस्य रंगीन कपड़े पहनते हैं , और वे उनके साथ अन्न त्याग कर अपना स्वास्थ्य ख़राब नहीं करते | दिग्विजय सिंह उनके विरोधी सही , पर निंदक को भी अपने नज़दीक रखना भारतीय जीवन शास्त्र में बड़ा ज़रूरी माना गया है | #
* मेरा प्रस्ताव है कि अन्ना टीम से यह लिखित शपथ पत्र ले लिया जाय कि वे स्वयं लोकपाल बनने के प्रत्याशी नहीं होंगे , जिससे हम जनता का उन पर अविश्वास कुछ कम हो , और उन पर थोड़ा विश्वास आये कि वे इतना उछाल कूद अपने निहित स्वार्थ के लिए नहीं , बल्कि जनहित में कर रहे हैं | वैसे भी ये लोग अपने अभी ही के भ्रष्टाचारों के कारण उस पद के काबिल नहीं रह गए हैं | #
* कहा और समझा यह जाता है कि जो अन्ना के साथ नहीं है वह भ्रष्ट है | ऐसी रणनीति ही बनायीं है इस टीम ने , इसीलिये यह प्राथमिक तौर पर इतना सफल भी हुआ | लेकिन दर असल हकीक़त इसके पलट है | सारे भ्रष्टाचारी अन्ना टीम में हैं या इनके आन्दोलन में हैं | जो समझदार नैतिक जन हैं वे इनसे दूर हैं इनका छल समझकर , या समर्थन में भी हैं तो कुछ आपत्तियों के साथ |#

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