मंगलवार, 4 अक्तूबर 2011

दलित विरोधी

* मुसलमान ब्राह्मणवाद के ही विरोध में होता तो यह ठीक था । लेकिन वे दलितों के बारे में भी वही निम्न राय व व्यवहार रखते हैं जो ब्राह्मण या सवर्ण उनके बारे में रखते हैं । जो लोग दलित -मुस्लिम एकता के आधार पर राजनीति करने को सोचते हैं वे निष्फल होंगे और मुंह की खायेंगे । सारी सफलता मुसलमानों की झोली में चली जाएगी । यह असहनीय है , और यह नहीं चलेगा । इसलिए दलितों को मनुवादियों के साथ -साथ इन कथित बराबरी का धर्म -गान करने वालों के भी खिलाफ खड़ा होना पड़ेगा । सुधी , जागरूक जनता को चाहिए कि वह दलितों को निर्विघ्न भारत पर अपना राज्य बनाने में सहयोग करें । तभी वे अपना सम्मान वापस पाएंगे , और देश सच्चे मायनों में लोकतान्त्रिक , समतावादी कहाने के योग्य होगा । #

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