* समझदार
है हमारी संतानें
हमसे ज्यादा ।
* सब स्वार्थी हैं
स्वार्थी ही निकलेंगें
सब के सब ।
* देखना है तो
चश्मा साफ़ कर लो
साफ़ दिखेगा ।
* मर जायेंगे
मार - मार करके
यही सभ्यता ।
* व्यतीत हुआ
लड़ते - झगड़ते
एक जीवन ।
* किसी से कुछ
कहने योग्य नहीं
सब स्वच्छंद ।
* बेअसर है
चीखना - चिल्लाना भी
इस समय ।
* अनगिनत
आवाजें बुलाती हैं
इधर आओ ,
किधर जाऊं
बुलाती हैं आवाजें
अनेकानेक ।
* मेरे मन में
सवाल यह है कि
हल कैसे हो ?
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