शुक्रवार, 21 अक्टूबर 2011

haiku 2

* आदमी सब
कितने मजबूर
कोई क्या जाने |

* मत गहिये
धनिकों की कतार
उनमे राह |

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें