रविवार, 30 अक्तूबर 2011

बेदाग़ लोकपाल

* बताया गया है कि अन्ना टीम की जन लोकपाल बिल के अनुसार बेदाग और अच्छी , ईमानदार छवि वालों की कोई कमेटी एक सर्व शक्तिमान लोकपाल की नियुक्ति करेगी । पता नहीं वह कमेटी अन्ना टीम के सदस्यों की तरह ही बेदाग होगी ,या उससे कुछ कम , या उससे कुछ ज्यादा ईमानदार होगी ? यह तो भविष्य ही बताएगा , पर अभी तो भविष्य अंधकारमय नज़र आ रहा है । क्या हम अन्ना टीम जैसी कमेटी , और इन्ही में से किसी को लोकपाल के रूप में सहन कर पाएंगे ? उस लोकपाल के अधीन प्रधान मंत्री क्या कश्मीर को भारत का अविभाज्य अंग बताने का साहस कर पाएगा ? अभी जैसे सी ए जी अपनी सीमा लांघना चाहता है , क्या पता लोकपाल भी यदि सीमा लांघ जाय , और सारी ताक़त उसके पास हो , तो कल्पना करें कैसा अनर्थ हो सकता है ? इसीलिये मैं पी एम को उसके दायरे में रखने वाली बिल का सख्त विरोधी हूँ जिसके लिए केजरीवाल [इसके अलावा अन्ना टीम का कोई अर्थ ही नहीं है] पूरी जिद बनाये हुए है । #
* मैं सरकार में नहीं हूँ , पर समझ में नहीं आया कि सरकार क्या क्या करती है ? या केजरीवाल इस बहाने भी अपना महत्व बढ़ाने के लिए यह आरोप लगा रहा है कि उनके खिलाफ सब सरकार कि साजिश है ? अब कुमार विश्वास ने अन्ना को चिट्ठी लिखकर कोर कमेटी भंग करने को कहा ,तो इसमें सरकार क्या करे ? अख़बार ने किरण के यात्रा बिलों का खुलासा किया तो इसमें सरकार का क्या दोष ? प्रशांत भूषण यदि देश के जन मानस विरोधी वक्तव्य पर पिट गए ती - - । यदि अन्ना टीम के सदस्यों की साख उनके अपने दुष्कर्मों , घमंड पूर्ण और अलोकतांत्रिक , जिद्दी स्वभाव के कारण गिर गयी तो सरकार क्या करे ? आखिर जनता के पास भी आँख - कान हैं , और वह भी कुछ देख -सुन रही है ।
* एक बात मेरी समझ से बाहर हो रही है कि ये खजरी वाले जनता को इतना मूर्ख क्यों समझते है जो इनके तरफ से बयान पर बयान जारी किये जा रहे हैं ? कहते हैं यह सौ करोड़ जनता का आन्दोलन है । एक तो मैं नहीं हूँ , रामदेव आपसे सहमत नहीं हैं , संघ का समर्थन आप माँ नहीं रहे हो , और - - और - । फिर इतना झूठ क्यों बोलते हो ? राजनीति का ग्रहण लग गया न !#

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