मंगलवार, 4 अक्तूबर 2011

डा जाकिर नायक

डा जाकिर नायक [इस्लाम गुण गायक मौलाना ] का बेटा उनके चैनेल पर तक़रीर कर रहा था कि ईश्वर का भला कोई बेटा कैसे हो सकता है ? क्या ईश्वर बच्चे पैदा करता है ? वगैरह । ज़ाहिर है वह ईसाई धर्म के खिलाफ blasphemy कर रहा था , वह कृत्य जो कि यदि कोई दूसरा इस्लाम के खिलाफ कर दे तो उसका पता नहीं क्या हो जाय । बहरहाल जाकिर जनाब उसे बड़े फख्र से सुन रहे थे । लेकिन चिंता के बजाय उस समय मुझे मसखरी सूझी और एक शुभ विचार मेरे मन में आया । अच्छा है कि बालक में धार्मिक मान्यताओं पर तर्क करने की माद्दा तो पैदा हुई । फिर वह अवसर आने पर शायद अपने इस्लाम मज़हब पर भी नज़र उठा सकेगा । यद्यपि यह मेरी खाम ख्याली है । मज़हबी लोगों को दूसरे की आँख का तिनका तो बहुत बड़ा दिखता है , पर अपनी आँख का लट्ठा नहीं दिखता ।
डा नायक की एक खासियत यह है कि कुरान पाक को समझाते हुए वे संस्कृत श्लोकों क भी धारा प्रवाह उद्धरण देते हैं कि देखो वह बात यहाँ भी लिखी हुई है । ईश निंदा , धर्म निंदा का मेरा कोई इरादा नहीं होता , पर पूछने का मन होता है कि जब सब वेदों में लिखा ही था तो फिर उसे दोबारा लखने की ज़रूरत क्यों पड़ गयी ?
हे ईश्वर उन्हें भी क्षमा करना और मुझे भी । #

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें