गुरुवार, 6 अक्टूबर 2011

ईमानदारी के उदाहरण नहीं

* भ्रष्टाचार इसलिए है क्योंकि आज पीढ़ी के पास ईमानदारी के कोई उदाहरण नहीं हैं , और ऐतिहासिक - पौराणिक आदर्शों में सर खपाने की किसी को फुर्सत नहीं है | लाल बहादुर शास्त्री के बाद कोई राष्ट्रीय चरित्र सामने नहीं आया | अन्ना - रामदेव जैसे लोग मंच पर आते ही संदेह के घेरे में आ जाते हैं | पहले के दिनों में परिवार का कोई सदस्य , कोई नातेदार , कोई पडोसी , कोई अफसर , मातहत , साथी दोस्त , या किसी साहित्यिक कहानी का कोई पात्र ही मिल जाता था जिसका हवाला देकर हम अपनी ईमानदारी पर दृढ रह सकते थे | अब सब गायब है | मैं कोई प्राचीनता का पुजारी नहीं , न आज का रोना रोने वाला , पर सच यही है कि आज ज़रा सा ईमानदारी का बीड़ा उठाओ तो लोग खिल्ली उड़ाते है , दकियानूस बताते हैं । बोलते हैं किस दुनिया में रहते हो यार , आधुनिक बनो , पैसे कमाओ , साईकिल हटा कर बाइक लाओ | संतोष से रहने वाले को चैन से रहना नहीं मिलता | पत्नी और औलादें साथ नहीं देती , तिरस्कार करते हैं | अन्ना आज बहुत बड़े नेता बनते हैं , पर यदि वे अपने समर्थक युवाओं से यह शपथ खिलाते कि वे जीवन में अपनी मेहनत की कमाई के अतिरिक्त एक पैसे का भी भ्रष्टाचार नहीं करेंगे , और अभी तो वे अपने पिता / अभिभावक को ऐसा नहीं करने देंगे , न उनका गलत पैसा इस्तेमाल करेंगे | तो देखते राम लीला मैदान कैसा खाली हो जाता ! इसीलिये उन्होंने ऐसा कुछ नहीं किया , और भीड़ निश्चिन्त बनी रही | इनसे कुछ होने जाने वाला नहीं है | नाटक से पात्रों के चरित्र नहीं बदल जाते , और नाटक से आगे कोई जाने को तैयार नहीं है | तो फिर भ्रष्टाचार भी जाने वाला नहीं है | तिस पर भी ईमानदारी इक्का -दुक्का संकल्पों से जिंदा तो रहेगी | वह मरने वाली नहीं है जब तक एक भी व्यक्ति संसार में बचा है | अब देखना यह है कि वह " इक्का -दुक्का आदमी " बनने के लिए कितने लोग तैयार हैं | मैं उनका स्वागत , उनके आगे नमन करना चाहता हूँ | #

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