सोमवार, 3 अक्तूबर 2011

नागरिक उवाच

* कुछ साल बाद दो अक्तूबर को गाँधी पर लिखने बोलने को कुछ रह ही नहीं जायगा । #

*किसी भी संत को या व्यक्ति को अपने ऊपर इतनी महानता नहीं ओढ़ लेनी चाहिए कि जिससे साधारण व्यक्तियों में महानता की आशा धूमिल दिखने लगे । #

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