१०० - महंत जी हैं
शहर में शांति भी
महा आश्चर्य !
९९ - संत - कथन
न हों यदि महंत तो
बचे शांति |
९८ - बस्ती के लंठ
अब हुए महंत
शांति दुर्लभ |
९७ - मठ में महंत
और शहर शांत !
कहाँ संभव ?
९६ - सुनो भदंत !
मठ- मध्य महंत
शांति का अंत |
९५ - नेता ऊपर
जनता सर्वोपरि
नीचे - ऊपर |
९४ - अति उत्तम
प्रश्न आपका , कोई
उत्तर नहीं
प्रश्न थे प्रायोजित
उत्तर ज्ञात |
९३ - नैतिकता की
बिलार - वाणियाँ तो
हज को चलीं |
९२ - प्रेम का रास्ता
सच और झूठ के
पार का वास्ता |
९१ - काम या लोभ
से परे प्यार , सारी
विपदा हरे |
९० - इंद्र को छोड़ा
पर इंद्र धनुष
तो देखता हूँ
८९ - मेरी नज़र
सबकी बुद्धिमत्ता
संदेहग्रस्त |
सूरज के साथ साथ
जुगनुएँ भी |
८७ - नहीं बनती
विवाद करने से
सार्थक बात
|
८६ -ईगो ! यू गो टु Ego ! you go to
हेल , माई डियर Hell, my dear !
आई हेट यू | I hate you .
८५ - अस्वस्थता है
वही पुरानी बात
ह्रदय रोग |
८४ - हाथ लगेगी
निराशा ही निराशा
जाओ , देख लो |
८३ - कौन है भला
सत्य का पक्षधर
कोई भी नहीं |
८२ - जिंदगी दे दूँ
जिजीविषा के हाथ
फ़िज़ूल बात |
८१ - मन से स्वस्थ
तन से अवश्य हूँ
किंचित रुग्ण |
८० - नहीं लौटेगा
वह समय पर
याद तो करूँ !
७९ - किसके पास
समय है इतना
वक्त निकाले
बैठे अपने पास
मन की सुने |
७८ - ऊब जाऊँगा
उनके घर से भी
जानता हूँ |
७७ - महत्वाकांछी
महत्त्व के काम का
नाम का नहीं |
७६ - अविश्वास था
इतना ही ज्यादा , तो
व्याह क्यों किया ?
७५ - पनघट की डगर कठिन है
कंटकाकीर्ण |
७४ - कर रहा हूँ
सफ़र की तैयारी
कब चलना ?
७३ - करो न करो
कहने में क्या जाता
-करूँगा यत्न |
७२ - होना है अभी
बुद्धि से साक्षात्कार
बहुत बाकी |
७१ - धन दौलत
संचालक शक्ति
पूरे विश्व की |
७० - समझ गया चाहते हैं कहना
श्रीमानजी क्या !
६९ -अन्य मनस्क ?
थोड़ा होली खेल लो
मन बहले |
६८ - कभी लगता
किसी ने पुकारा है
कोई नहीं है |
६७ - धर्म न सही
सम्प्रदाय न सही
संत - वाणियाँ
तो पढ़ाई जायँगी
विद्यालयों में !
६६ - नींद आयेगी
नींद आ गयी |
६५ - कुछ भी बनो
प्रगतिशील नहीं
प्रगति वान |
६४ - कोई नहीं है
बुराइयों से परे
कम या बेश |
६३ - बाकी तो रखो
कुछ कहने को भी
सब न लिखो |
६२ - विद्रूप चित्र
हमने बनाये हैं
मुखौटों पर |
६१ - मन में कोई
विचार न आने दो
यही ध्यान है |
६० - खाली दिमाग
सुलेमान का घर
अमन-चैन |
५९ - स्वास्थ्य, क्या है ?
बस वही , कमजोरी
है शरीर में |
५८ - अधिकतम
लकीर के फकीर
हैं भारत में |
५७ - हुई ज़रूर
मुझसे या तुमसे
कोई ग़लती !
५६ - कर्म अलग
कविता अलग है
ऐसा क्यों भला ?
किसने देखा -जाना
फलित होते !
फिर भी बुजुर्गों से
हम मांगते |
५४ - बोलता तो हूँ
कितना झूठ बोलूं
आख़िरकार !
नहीं सुन पाओगे
सच बोलूं तो |
ज्यादा फिक्र नहीं है
उनकी ज्यादा |
५२ - कुछ न कुछ
तो विचारता ही है
हर आदमी !
५१ - लिखेंगे हम
आखिर क्या खाकर
जड़ी या बूटी ?
५० - बहुत लोग
बहुत ज्यादा ज्ञानी
कम, कम ही |
४९ - शासन लक्ष्य
बहुत से लोगों का
हमारा नहीं |
४८ - जीवन ही है
सोद्देश्य जीवन भी
निरुद्देश्य भी |
४७ - इस लोक को
as it is lo / एज इट इज लो
सुखी रहोगे |
४६ - ज़रूर बोलूँ
कोई बात उठे तो
बोलूँ क्यों नहीं !
४५ - जानदार है
ओशो जानदार है
जीवनानंद |
४४ - आभास नहीं
तुम्हारे पास क्या है
जो विशिष्ट है ?
४३ - दाँत न होते
तो खाते कैसे सब
वेदांती -जन ?
४२ -स्वाद के लिए
साहित्य पढ़ें , लिखें
स्वास्थ्य के लिए |
४१ - न उन्हें देना
हिसाब बराबर
न मुझे लेना |
४० -सिर्फ यादें हैं / यादें भर हैं
हम लोगों के पास
और न कुछ |
३९ - विज्ञापन है-
डाला निकला और,
हो गया (बच्चे) |
३८ - नेटवर्क ही
कहाँ देख पते हैं
मोबाईल के ?
३७ -सब हासिल
विश्वास हासिल तो
शेष बेकार |
३६ -जिंदगी नाम
ग़लतफ़हमी का
हम जीते हैं |
३५ - कोई नहीं है
न औरत , न मर्द
सब आदमी
सभी मजबूर हैं
और जीवित |
३४ -कल ठीक थी
तबीयत ,परसों
की तुलना में
आज , कल से ज्यादा
कल बिलकुल
उठ, बैठ जाऊंगा |
३३ -जानते सब
मानता कोई नहीं
यह भी तो है !
३२ -बहुत लोग
बहुत बेहतर
लिख रहे हैं |
३१ -अब इसमें
चौंकने की क्या बात
ऐसा होता है |
३० - चलता हूँ मैं
जब सभी कहते
सबको जाना |
२९ - कुछ देखिये
देखते ही जाइये
आगे और है |
२८ - बच्चे पिटते
बिगड़ती जाती हैं
दर पीढ़ियाँ |
२७ - बराबरी के
पूर्व ,बराबरी की
मानसिकता
लाएगी बराबरी
मानसिकता
लाएगी बराबरी
होगी समता |
२६ - दो आदमी
घर चलाने में तो
लगते ही हैं !
२५ - प्यार में कोई
किसी का नहीं होता
सत्य सुनिए !
२४ - कुछ है और
कुछ नहीं है , मेरे ,
तुम्हारे पास |
सभ्यता -असभ्यता
संग मनुष्य |
२२ - तुला है पैसा
हर किसी चीज़ का
सेवा , श्रम का |
२१ - पूरा मस्तिष्क
कहाँ समझ पाया
अभी विज्ञानं !
२० - परिचय है
हमारा भी प्रेम से
करते नहीं |
१९ - अपनी मौत
सब मारे जायेंगे सब मरेंगे |
१८ - कवि हूँ जैसे
तमाम हिन्दुस्तानी
होते हिंदी के |
१७ - धन्य मनाओ
जो तुमको देख लूं
नज़र उठा |
१६ - मन नहीं है
प्यार भी करने का
अब किसी को |
बुद्धि की बलिहारी
और मेरी भी |
१४ - यूँ तो सबने
मुझे प्यार ही किया
जैसे भी किया |
१३ - गलतियों से
अनुभव लेता हूँ
सही कैसे हो ?
१२ - होने को ही हैं
हिन्दू -मुसलमान
वरना नहीं |
११ - I do die आई डू डाई
they all will die दे आल विल डाई you will die | यू विल डाई |
१० - चलिए सही
कुछ तो खायी पटी
दोनों के बीच !
९ - चुनौतियों को
स्वीकार करते हैं
हम लेखक |
८ - किसी पर दया
८ - किसी पर दया
कभी मत कीजिये
जो भी कीजिये
७ - मेरे ख्याल से
सबकी इज्ज़त है
होनी चाहिए |
६ - आदमी ही है
अफसर हो वह
या मातहत |
उठने के लिए
गिरता गया |
४ - दस्त और है
सर -दर्द तो है ही
पेचिश और |
३ -जन्म की जाति
भुला तो सके |
२- राजकुमार
सपनों का ढूढोगी
छली जाओगी |
१- मन कहता -
नेता क्या होता है जी
लेकिन होते |
1916 - 2016
जवाब देंहटाएंविधा हाइकु
सौ हाइकुकारों की
शताब्दी हर्ष
पुस्तक , विमोचन ,4 दिसम्बर 2016 हाइकु दिवस आयोजन
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