सोमवार, 21 मार्च 2011

पंछी आते हैं

* "अपने आप से उलझो " 
     Be cantankerous with thyself 
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* क्या आपने कभी अनुभव किया है कि कभी सफाई भी अत्यंत घृणित हो सकती है ?

* मैंने एक बात ग़ौर की | पुराने ज़माने की मैं नहीं कह सकता | पर इस कालखंड में कोई किसी की सुनना नहीं चाहता , किसी से कुछ जानना -समझना-सीखना नहीं चाहता | सब केवल अपनी हाँकते हैं और अपने से ज्यादा ज्ञानी - बुद्धिमान किसी को नहीं समझते |     

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