* मैं सोचता हूँ तो पाता हूँ कि ,मैं कोई बिचार -विचार नहीं करता | मैं केवल तथ्यों का आकलन करता हूँ , और जो सच्चाईयां जान -समझ पाता हूँ ,वह कहता या लिख देता हूँ | उसमे मेरी तरफ से सैद्धांतिक विचार की मात्रा बिल्कुल नहीं या बहुत कम होती है | और यह तो सच है ही ,कि मैं विचार भी दिमाग से नहीं ,दिल से करता हूँ | ##
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