* ईश्वर निश्चय ही अत्यंत लोकतान्त्रिक है , जो मेरे जैसे अपने विरोधी दुश्मन को भी प्रश्रय देता है . पालन - पोषण करता है , जीवन की सारी खुराकें देता है ,ताक़त और माद्दा देता है उस से लड़ने की | और प्रेम भी बेहद करता है | ##
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* जो हम ईश्वर को मानते हैं ,तो वह भी हमारी बुद्धिमानी के तहत है , न की अज्ञानतावश , या किसी कमज़ोर की आह ' की तरह | ##
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* धर्म की एक गड़बड़ी सबसे बड़ी है | धार्मिक जन अपने आप को श्रेष्ठ होने की भावना से ग्रस्त कर लेते हैं | आम जन से थोडा सा या बहुत ज्यादा ऊपर |वे इन्हें कीड़े - मकोड़े , नीच -पापी , अज्ञानी और हेय समझने लगते हैं |
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