गुरुवार, 10 मार्च 2011

* लाख गाली दीजिये ब्राह्मणवाद को ! लेकिन यह मानव सभ्यता का सहज और मौलिक दोष या अवगुण है | किसी समाज में इससे मुक्ति नहीं है | कोई ज़रा भी अपने अनुभव का , तर्क बुद्धि और यथार्थवाद का इस्तेमाल करे तो इसे आसानी से समझ और स्वीकार कर सकता है | यूँ किसी ख़ास बौद्धिक या जातीय जिद या दुराग्रह की बात और है | यह उसी प्रकार है जैसे कि Divide and Rule की पालिसी | कोई भी सरकार हो , कोई भी पार्टी हो, कोई भी शासन  हो, वह इससे बच नहीं सकता ,यदि उसे राज्य चलाना है तो ! इन वाक्यों में मेरा अपना विचार कुछ नहीं है | मै तो बस हकीकत बयान कर रहा हूँ | भले ही मैं स्वयं इन दोनो नीतियो को पसंद नहीं करता | पर सारी दुनिया हमारे चाहने से चलती कहाँ है ! उसकी अपनी गति है | हमारी गति इसमें है कि हम कटु यथार्थ को पहचानना, जानना  और जीना सीखें |      ###


* यदि आदमी सरल है ,तो फिर वह चाहे मेरे लिए कुछ करे ,न करे , किसी भी विचारधारा , देश -धर्म , जाति -संप्रदाय का हो , मेरा मित्र है | 


*  कवि ,मैं नहीं हूँ | पर मेरी कवितायेँ लोगों को पसंद  तो आती हैं | फोन तो ऐसे आते हैं |


*  प्रजातंत्र का राजा वह ,जो कानून बनाये , और उन्हें व्यवहार में न ला पाए |


*  दवा , यह जान कर पियो ,कि अमृत पी रहे हो |     ###
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