सोमवार, 14 मार्च 2011

संवरिया

*    लेकिन वह तो

सुंदर तो है , लेकिन  वह तो
मुन्दर भी है , लेकिन  वह तो |

रहती तो दिल के बाहर है
अन्दर भी है , लेकिन  वह तो |

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*         देहाती गाना   

धूप लगने लगी अब संवरिया
चलि कै छाहें में बयिठो संवरिया |
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*           शेर 

पता नहीं कब क्या हो जाये ?
शाम से सीधे सुब्ह हो जाये |
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*         ग़ज़ल         

कोई दुबिधा ग़म नहीं है ,
यही सुविधा कम  नहीं  है |

                   एक विचारक जा रहा था ,
                   सबसे कहता -'हम' नहीं है |

चाँद पर पानी मिला तो ,
आंख में भी कम नहीं है |

                   एक समंदर ह्रदय में है ,
                   आंख लेकिन नम नहीं है |

उनके  हीरे , तेरे मोती ,
'तोष' मेरा कम नहीं है |

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