* लोग दीवाली मनाते हैं
मैं उजाले में सो नहीं पाता
लोग पटाखे फोड़ते हैं
मैं आवाज़ बर्दाश्त नहीं कर पाता |
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* मैं एक नाटक कर दूं
आप रो पड़ेंगे
मैं एक कविता पढ़ दूं
आप हँस देंगे
जब की सब झूठ |
सत्य का गुणगान तो सबने किया है
झूठ की शक्ति की
पहचान अभी होनी है |
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