शनिवार, 5 मार्च 2011

झूठ की शक्ति

*  लोग दीवाली मनाते हैं 
मैं उजाले में सो नहीं पाता
लोग पटाखे फोड़ते हैं 
मैं आवाज़ बर्दाश्त नहीं कर पाता |

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*  मैं एक नाटक कर दूं
आप रो पड़ेंगे
मैं एक कविता पढ़ दूं
आप हँस देंगे
जब की सब झूठ | 
सत्य का गुणगान तो सबने किया है 
झूठ की शक्ति की 
पहचान अभी होनी है |

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