शनिवार, 12 मार्च 2011

आदमीयत न छूटे

* चाहे हिन्दू रहूँ या मुसलमान
या कुछ भी न रहूँ
मैं चाहता हु कि मुझसे
आदमीयत न छूटे |
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*  ईश्वर के अलावा भी
बहुत सारी चीज़ें हैं
ईश्वर कि तरह |
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पुनर्जन्म

आप मानते नहीं ,
मेरा तो हुआ ;
एक बार तब ,जब
मुझसे बारह साल छोटा
मेरा भाई पैदा हुआ
फिर तब,
उससे बीस साल  छोटी
मेरी पुत्री हुयी ,
फिर उसके छः साल बाद
जब, मेरा पुत्र पैदा हुआ |
मैं मरता जा रहा हूँ ,
पैदा होता जा रहा हूँ
अभी फिर हुआ न !
जब मेरे नाती - पोती हुए \
ऐसे ही ,फिर -फिर
मैं पैदा हूँगा |
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*  आदमी बूढ़ा होता
तब तक उसे
दवाईयों के इतने नाम
याद हो जाते
कि उसे जवान होने में 
कोई दिक्कत नहीं होती |
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* जब मैंने देश पर 
हावी होना चाहा
वह बाघ की तरह
मुझ पर झपटा ,
पर जब विनम्र हुआ
उसके समक्ष
उसने मेरा पालन
किया ,माँ की तरह
प्यार किया |
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13 /3 /11   

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