सच कहने के वास्ते , रखिये सबसे बैर
सच कहना जो चाहते , रखते सबसे बैर
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* कामतानाथ की संकलित कहानियाँ पढ़ रहा था | तमाम कहानियों पर तो मन इधर-उधर होता रहा , पर 'खलनायक ' पर जाकर चिपक गया | हालाँकि उसका शीर्षक मैं कहानी के असली नायक (नायिका) के नाम पर उसके असली नाम सुनीता के बजाय ' बिल्लो' ही बताऊंगा | खलनायक भी भला कोई शीर्ष पर रखने की चीज़ है ? मैं इस कहानी से यह एक मछली मार कर पाठकों को देना चाहता हूँ कि यदि शादी की सम्भावना या जुगत -साहस न हो तो किसी लड़की से प्रेम की अनुभूति नहीं बनानी चाहिए , और यदि कुछ कोमल अहसास जगें भी, तो कन्या -विशेष को उसका आभास नहीं होने देना चाहिए |आखिर कहानियों से कुछ सबक तो लेनी चाहिए | बिल्लो का कहा एक संवाद तो शाश्वत और avismrneey है की - 'पाँच दिन में तो दुनिया idhar se udhar ho sakti थी '
* उसने कहा - तुम राज ले लो , ले लिया ;
उसने कहा फिर - पाट ले लो , ले लिया |
उम्र के दालान में इस छोर पर ,
उसने कहा - अब खाट ले लो , ले लिया ||
## [ लल्लू बस्तवी द्वारा प्रेषित ]
* जाट आन्दोलनकारी रेल की पटरियों पर लेटे हैं | इसमें कोई ज्यादा खतरा नहीं है
वे लेटे रहें तो भी रेल उनके ऊपर से सुरक्षित गुज़र जाएगी | लेकिन एक समस्या है कि यदि कहीं उन्हें जम्हाई आ गयी , और कोई रेल यात्री उसी समय टॉयलेट में हुआ तो स्थिति बिगड़ सकती है |
मनोरंजन वार्ता,(दिमाग से)वे लेटे रहें तो भी रेल उनके ऊपर से सुरक्षित गुज़र जाएगी | लेकिन एक समस्या है कि यदि कहीं उन्हें जम्हाई आ गयी , और कोई रेल यात्री उसी समय टॉयलेट में हुआ तो स्थिति बिगड़ सकती है |
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