सोमवार, 14 मार्च 2011

एकपत्नीव्रत / छिनाल नहीं

* कविता    
                 एक पत्नीव्रत

मैं हमेशा एकपत्नीव्रत
का समर्थक रहा
मैंने इसे जीवन  भर निभाया

बीस से तीस तक  
एकपत्नीव्रत

तीस से चालीस तक  
एकपत्नीव्रत ,

फिर चालीस से पचास तक
एकपत्नीव्रत ,

और अब पचास के बाद
निष्ठापूर्वक
एकपत्नीव्रत निभा रहा हूँ |
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* हिंदी के साहित्यकार वैसे ही हैं जैसी हिंदी है | हिंदी वैसी ही है जैसे हिंदी के साहित्यकार हैं |
* जो औरत नारायण दत्त तिवारी  के ज़रिये पुत्र जनने का बयान दे रही है, और निस्संदेह जिसने 
अपने पति से बेवफाई  की, उसे क्या कहा जाये यदि छिनाल नहीं ?

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