* आज का धर्म
मैंने यह तो गौर किया कि धर्म अंततः एक जिद का नाम एक तार्किक/अतार्किक सैद्धांतिक -व्यावहारिक दृढ़ता है धर्म |जैसे ,चोरी ,घूसखोरी , जिना -ज़बरदस्ती, अमानत में खयानत नहीं करना तो नहीं करना , झूठ नहीं बोलना तो नहीं बोलना |
अब ऐसी दशा में , मैं सोचता हूँ , कि हमारा आज का धर्म भला क्या हो सकता है ? क्या होना चाहिए ? तब नागरिक धर्म याद आता है | encroachment न करना , जेब्रा लाइन न पार करना , पेंड़ न काटना इत्यादि | क्या यह कहना कुछ गलत है ?
मैंने यह तो गौर किया कि धर्म अंततः एक जिद का नाम एक तार्किक/अतार्किक सैद्धांतिक -व्यावहारिक दृढ़ता है धर्म |जैसे ,चोरी ,घूसखोरी , जिना -ज़बरदस्ती, अमानत में खयानत नहीं करना तो नहीं करना , झूठ नहीं बोलना तो नहीं बोलना |
अब ऐसी दशा में , मैं सोचता हूँ , कि हमारा आज का धर्म भला क्या हो सकता है ? क्या होना चाहिए ? तब नागरिक धर्म याद आता है | encroachment न करना , जेब्रा लाइन न पार करना , पेंड़ न काटना इत्यादि | क्या यह कहना कुछ गलत है ?
* सहज अज्ञान
विज्ञानं के साथ समस्या यह है कि उसे जाने बिना काम नहीं चल सकता | अज्ञान के साथ सुविधा यह है कि बिना कुछ जाने भी जीवन का काम आसानी से चल जाता है |पृथ्वी एक घंटे में कितना घूमती है , वैज्ञानिक के लिए जानना ज़रूरी है | लेकिन मुझे इससे क्या मतलब ?
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