*जब किसी साहित्य में सार्थक , जीवंत और संयत समीक्षा पद्धति मुरझाने लगती है तो उसके साथ अनिवार्यतः एक परजीवी वर्ग , एक साहित्यिक माफिया पनपने लगता है |ऐसी विकट स्थिति में लेखक अपने खोल में चला जाता है |
[निर्मल वर्मा]
* Forgetfulness is Bliss +/+ निर्विकल्पता एक वरदान है |
[ओशो ]
* जीवन छोटा और
कहने को बहुत कुछ हो
तो हड़बड़ी हो ही जाती है |
बहुत कुछ
समेट लेने की कोशिश में
बहुत कुछ
छूट जाता है |
- - [कवि ]- अम्बिका दत्त
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* Being attracted to a scientist is the wrong way to be attracted to science .
- Venkatraman Ramkrishnan
[ 2009 Nobel Prize Winner Laureate for Chemistry ]
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ग़ज़ल
मुझमे जो कुछ अच्छा है सब उसका है ,
मेरा जितना चर्चा है सब उसका है |
उसका मेरा रिश्ता बड़ा पुराना है ,
मैंने जो कुछ सोचा है सब उसका है |
मेरी आँखें उसके नूर से रोशन हैं ,
मने जो कुछ देखा है सब उसका है |
मैंने जो कुछ खोया था सब उसका था ,
मैंने जो कुछ पाया है सब उसका है |
जितनी बार मैं टूटा हूँ वह टूटा था ,
इधर -उधर जो बिखरा है सब उसका है |
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--कश्मीरी लाल जाकिर
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* क़तअ
वह मुझे प्यार से ' तू ' कहता है ,
हम ख़िताब लेकर क्या करेंगे ;
हम हुज़ूर लेकर क्या करेंगे
हम जनाब लेकर क्या करेंगे ?
[ उफ़क़ लखनवी ]
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