शनिवार, 25 अगस्त 2012

14/4/2012


गुण नहीं , अवगुण वत्ता के लिए प्रचलित देसी भाषा में अन्ना - रामदेव क्यों नहीं कह देते कि संसद में सारे चमार बैठे हैं ? हाँ ,लोकतंत्र में भारतीय संसद में चमार ही बैठेंगे , जो करना हो कर लो |
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आज़ादी की लड़ाई राष्ट्र की स्वतंत्रता के लिए  लड़ी गयी थी या राज्यों की स्वायत्तता के लिए ?
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साहित्यकार कहाँ हैं , साहित्य के आकार हैं सब |
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 NCTC में प्रदेश मशीनरी को शामिल कर उन्हें संसूचित-सम्मिलित करने का प्रावधान इसलिए भी ज़रूरी है जिससे आतंकविरोधी कोई आपरेशन शुरू होने से पहले आतंकियों को सब पता चल जाये.. 
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0 रूपये रोज़ पर कितने भारतवासी गुज़र कर रहे हैं यह गिनने से कोई फायदा नहीं, उनकी खबर लीजिये जो २0 हज़ार रोज़ खर्च कर रहे हैं...
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According to a Pakistani cleric 'secular education of women is un-islamic'. like wise we can assume that secular stable is un-islamic too. hence india must remove its constitution t prevent india un-islamic values. Make it a hindu stable, rather    .   [Ref- Indian Express]
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भारत माता डायन है और सांसद डाकू हैं , में कितना अंतर  है ?
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जो आप मान जाएँ वह सत्य है. जिसे आप ना मानें वह असत्य है 
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आप (जो भी कोई) जो कर रहे वह बहुत अच्छा कर रहे है. यदि ऐसा  करेंगे  नहीं तो हिंदुस्तान गुलाम कैसे होगा जो कि इसकी नियति है...
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यदि आप अन्याय [sahan nahi]नहीं कर सकते , तो कोई और देश तलाशिये ..

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अन्ना के आन्दोलन से भ्रष्टाचार दूर होने की उम्मीद उसी प्रकार है , जैसे मुलायम के शासन में अराजकता का बंद होना ।

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गुलाम बनाओ आन्दोलन

भारत में कुछ पागल - सिड़ी लोग 'आज़ादी बचाओ आन्दोलन ' चला रहे हैं |
यद्यपि मैं भी थोडा  पागलपन में उनके साथ हूँ , पर मैं  क्षमा चाहता हूँ
, मेरे मन में एक पाप  उदय  हो रहा है | वह यह कि भारत को अब एक गुलामी
आन्दोलन  की ज़रुरत है " हमें गुलाम बनाओ , हम गुलाम हैं , हम गुलाम रहना
चाहते हैं , हमें नहीं चाहिए आज़ादी , हम आज़ादी के काबिल नहीं हैं " etc
हमारा नारा होना चाहिए | वैसे भी चल तो रहा ही है यह आन्दोलन , बस इसे
सही नाम देकर स्वीकार भर करना है | यह कुविचार क्यों आता है कह नहीं सकता
पर निश्चय ही इसके पीछे है हमारे नेताओं का दुष्कर्म -दुराचरण | फिर अपने
वेतन -भत्ते बढ़ाने के विधायकों -सांसदों - ट्रेड यूनियनों की मांगें ,
राज्यों की हठधर्मी , इस्लाम की सक्रियता और उसका सेकुलर  स्टेट द्वारा
उचित -अनुचित पिष्टपेषण , निहित लाभ के लिए रेल पटरियों का उत्खंडन,
आतंकवाद - नक्सलवाद  का उभार, सेना में विवाद , अन्ना - रामदेव का अति की
सीमा तक आन्दोलन , अन्धविश्वास और दिमागी जड़ता में बढ़ोतरी इत्यादि , जो
निश्चय ही हमें गुलामी की ओर ही ले जायेंगे | तो फिर सीधे- सीधे हम
गुलामी की मांग क्यों न करें ? एक बात बताईये , आज़ादी की लडाई क्या
राष्ट्र की स्वतंत्रता के लिए लड़ी गयी थी या राज्यों की स्वायत्तता  के
लिए लड़ी गयी थी ,वह भी आखिर उन्हें कितनी चाहिए ? जब देश ही नहीं रहेगा
तो क्या खाक प्रदेश रहेंगे ? पर विकेंद्रीकरण का विचार जैसे एक फैशन हो
गया गया है | यह इतना ही शुभ होता तो पटेल हैदराबाद ही नहीं तमाम अनगिनत
राज्यों को भारत में न रख पाते | नेहरु का कश्मीर हम आज तक भुगत रहे हैं
| सबकी एक सीमा है और सबको इसे समझना चाहिए , राष्ट्रों को भी और राज्यों
को भी | क्षणिक सफलता के अहंकार में राज्य इसे भूल रहे है | सवाल कांगेस
का नहीं है , कल कोई और होगा केंद्र पर आसीन | आतंक निरोधी  केंद्र पर
राज्यों का इतना विरोध राष्ट्र के लिए शुभ नहीं है | आतंकवादी सब गौर से
देख-समझ रहे हैं ,और हमारी कमजोरी भांप कर अपनी रणनीति बना रहे हैं | यह
किसी से छिपा नहीं है | अमरीका भी तो फेडरल देश है , पर वहां राज्य अपनी
ज़िम्मेदारी समझते हैं | यही कारन है कि वह आज विश्व का दादा बना हुआ है ,उसने लादेन को उसके घर में घुसकर मारा और वहां ९/११ के बाद कोई दुर्घटना दुहरायी नहीं जा सकी , भले शाहरुख़ खान
चिल्लाते रहे कि उन्हें मुसलमान होने के कारण हवाई अड्डे पर रुकना पड़ा |
राष्ट्र ऐसे बनता है न कि व्यक्तियों और कुछ स्वार्थी समूहों के अनावश्यक
जिद से | केंद्र जितनी कमज़ोर है ,वह तो है पर उसे अनावश्यक बयान बाजियों
से हमने , अरविन्द केजरीवाल , ओम पुरी, रामदेव आदि ने अपनी झूठी महत्ता
सिद्ध करने के चक्कर में और भी कमज़ोर बनाया है | इसमें राजनीतिक दल भी
दोषी हैं , जो सत्ता के साथ हैं वे भी , जो विरोध में हैं वे भी | हमें
अपने कमज़ोर बच्चों कि भी हौसला अफजाई करनी चाहिए कि ठीक है तुमने गलती
की, असफल हुए , और इस प्रकार कोशिश करो ,तुम्हे सफल होना है , लोकतंत्र
को सफल होना है , हम तुम्हारे साथ हैं | हमें अपने लूले -लंगड़े लोकतंत्र
को अपाहिज कहकर धिक्कारना , तिरस्कार करना नहीं चाहिए , बल्कि उसे
differently abled  कहकर उसका सम्मान करना चाहिए | तभी वह आत्मविश्वास से
भर कर कुछ नया करने का साहस कर पायेगा | लेकिन नहीं , सब इसकी टांग
खींचने में अपना पुरुषार्थ समझते हैं भले स्वयं टिटहरी की टांग हों |
इसमें अपनी  मीडिया सबसे आगे  है, और किसी का नाम जुबान पर लाकर उसका
जायका क्यों ख़राब करें ?
तो क्यों अनावश्यक नाटक करें ? सीधे - सीधे यही अन्दोलन क्यों न चलायें
की हमें "फिर गुलाम होना है , हमें गुलामी पसंद है , हम गुलामी के अत्यंत
सुयोग्य पात्र है " | और इंतजार कीजिये जब कोई पीढ़ी समझदार पैदा होगी तब
वह आज़ादी की फिर कोई लडाई लड़कर उसे हासिल कर लेगी , जो कि अभी तो
मुश्किल ही दिखाई दे रही है , क्योंकि वह आखिर हम नालायकों की ही तो
संतान होगी |
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Zahir hai jab koi baba -dayi kuchh kahta hai to hum use hi satya maan lete hain aur aage peechhe kuchh nahi sochte , chahe woh Sai baba hon ya Nirmal ya Ramdev, ya Gandhivadi Anna baba . Kab hoga kuchh hamara manna ?
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यदि प्रकृति को ही ईश्वर मानना चाहें , तो भी, यह भी तो सोचें कि आदमी अब कितना प्राकृतिक यानी ईश्वरीय जीवन जी रहा है ? (Satark Samaj) 
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[मुक्तक ]
देश का शुभनाम हिंदुस्तान है ,
राष्ट्र का हर व्यक्ति इसकी शान है ;
मातु -पितु -गुरु - बन्धु सब है देश अपना 
देश अपना धर्म है , ईमान है ||

[तरही नशिस्त, बाराबंकी ]
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आजकल एक चर्चा फिर बहस में है | अन्ना का कहना है कि किरण बेदी ने अपनी संस्था के लिए पैसे जुटाए इसलिए वह भ्रष्टाचारी नहीं कही जा सकतीं | सही है , तमाम माँ - बाप भी अपनी लड़कियों की शादी और लड़कों की पढ़ाई के लिए घूस -पात लेते हैं | सारा का सारा अपने व्यक्तिगत उपयोग के लिए थोड़े  ही करते हैं | उन्हें भी भ्रष्टाचारी कहना उचित न होगा | सबके पास अपने भ्रष्टाचार के लिए हाज़िर जवाब है | एक चोर डकैत के पास भी | सबके पास अपने अपने कारण हैं | एक शेर सुनिए == " मैं अपने बच्चों की ख्वाहिशों का क़त्ल होते न देख पाया / मैं जानता था की ज़िन्दगी में हलाल क्या है , हराम क्या है | "  30/4/12
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I have no doubts in my mind which I made up lately. Sanshayatma Vinashyatih. Not reservation , the whole power to rule should now be handed over to Dalits, moolnivasi ,you can say . Now it is their turn Hindus and Muslims have enjoyed their turn .Now ,if they are pious and truthful , should vote only in favour of Dalit candidates [or women of all castes, who are candid dalit ]. It is optional, no constitution ammendment needed. But this Idea is the only Saviour of India. Don't  mingle it with the Quality of  Rule and administration . It will not be worse than we witessed in the past .30/4/2012
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अगर ईश्वर होता तो क्या आदमी इतना दुष्ट होता ?

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ईश्वर तो नहीं है
लेकिन अल्लाह तो है ।
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*(कविता)
 खुद तो
पढ़े हैं नहीं
चले हैं बनने
हम शिक्षा शास्त्री ।
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CCS University Meerut ki student Prabha Parmar ne UGC se nivedan kiya hai ki woh uske Post Docoral fellowship for research ke subject 'Use of Magic Realism in the major navels of Salman Rushdie, Amitav Ghosh and Vikram seth ' ko badal de . Deoband aur anya Islamic orgs ka virodh iske peechhe karan hai , lekin Saharanpur nivasini Prabha itna daree huyi hai ki uska kahna hai ki use kuchh nahi kahna hai aur woh is vishay par ab shodh nahi karna hai , bhale use research hi chhodna pade . Bilkul darna chahiye aur har Hindu ko darna chahiye . Hum to kewal Salman Rushdie se poochhna chahte hain ki woh ab bolen ki unka pichhle Literary Festival me Hindustan aana Congress ke karan ruka tha , na ki Darul Uloom Deoband ke Fatwe ke karan .Usi baat ko zara duhra to den .[Dialectic Humanism] 17/4/2012
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 (उवाच)
भगवान को मानो, लेकिन इस बात को अपने मन में रखो । ऊपर से यही प्रकट करो कि तुम किसी अलौकिक शक्ति पर विश्वास नहीं करते । तुम तो अत्यंत वैज्ञानिक बुद्धि वाले हो ।
(पाखंड योग) 21-4-2012
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(कविता)
एक तो गरीबी
ऊपर से
बेसवा होने का आरोप
कहाँ तक झेलूँ मैं ।
(20-4-12)
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Searched from files . Please note : S.N.Munshi – birth 15/4/1920 , death 24/9/1982

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* मित्रगण मुझसे सहानुभुति रखते हुए कहते हैं - तुम्हारा कुछ भी तो सफल नहीं हुआ, न कविता, न पत्रकारिता, न नास्तिकता, न धर्मनिरपेक्षता,न दलित राज्य, वैज्ञानिक चेतना, न राष्ट्रहित में स्वार्थविमुखता कुछ भी तो नहीं ।
  तो अब मैं एक काम करने जा रहा हूँ। पाखण्ड योग संस्थान ( HYPOCRICY  YOG  INSTITUTE ) खोलकर मानवता की सेवा करूँगा । तब तो सफल हूँगा, या तब भी नहीं।                                                                        

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कभी बनी है
राष्ट्रीय सहमति
जो अब  बने !
[कविता- उवाच , 17.4.2012]
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*Sab barabar nahi hain
“MERI  NAZAR  MEIN”
Sab barabar hain .
[kavita]
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*Kuchh dinon se
meri ghadi gayab thee ,
Aaj wh mujhe mil gayi
Meri ghadi gayab thee
Lekin wh chal rahi thee
Aaj usne mujhe
sahi samay bataya.
[kavita] 
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*Desh ko kuchh
Noch khana hai ,
Hain na hum is hetu
Desh bhakt !
[kavita]
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Chakkar – chakkar
Subah subah park ke do char chakkar lagata hun
Gaon jata hun to
Us khalihan ki parikrama karta hun
Jahan mere mere poovaj , mere Mata-Pita Dafn hain ,
Shahar me
Ladkiyon ke chakkar .
[Badmash Chintan 15/4/2012]
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SEEMA
Rashtravad ki avdharna koi rajneetik hi siddhant nahi hai . Yeh kudrat ka anushasan hai ki har kisi ko apni seema ma rahna chahiye . Vyakti ko ,samaj ko , snskruti ko , dharm ko rajya ko , sabko . Yehi loktantra hai . Ise na samajhne ke karan hi tamam samasyayen paida ho rahi hain . [Uvach] 15/4/2012
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Bihar divas celebration in Mumbai
Mere vichar se Nitish Kumar Biharvasiyon ka nuksan kar rahe hain . Bihar ke log Mumbai me kama - kha rahe hain , yeh to theek hai , par unhe vahan apna sanskrutik utpat kayam kar Marathiyon ko chhedna nahi chahiye aur aisi sthiti paida nahi karni chahiye jis se Bihar vasiyon ko kisi sambhavit ashubh ka samna karna pade .
Log yeh to kahte nahi thakte ki Bharat me anekta hai , par yeh bhool jate hain ki yeh ek me anek hai . Is se kuchh samasya ho jati hai . Samajhne ki zaroorat hai ki Maharashtra Bihar nahi hai , aur Bihar Maharashtra nahi hai .14/4/2012
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MEMOIRS  on Facebook
 On Mr S.N.Munshi Nigam
To Mr Harjindar Sahni,

हाँ , है तो , ज्यादा नहों पर बहुत ठोस । तबीयत भारी है क्या लिखूँ । अब मिसेज़ मुंशी भी नहीं रहीं , उन्होने भी अपना शरीर दान किया । मैंने भी कर रखा है पर मैं मुंशी जी की तरह अपना परिवार शिक्षित नही कर पाया , सोचा यह कन्डिशनिंग हो जायगी । मैं उनसे प्रत्यक्षतः तो उतने संपर्क में नहीं रहा पर उनकी छाप मुझ पर गहरी है। मैं उन दिनों ईश्वर के बारे में भ्रमित था, आज दृढ़ नास्तिक हूँ । साइंटिफिक टेम्पर की जो समझ उन्होने भरी ,उसका आलम यह है कि (इसे अन्यथा न लेंगे) आज मैं अपनी तर्कणाशक्ति और आत्मविश्वास के बल पर किसी भी गहनतम विचारसभा में निर्भय बैठ सकता हूँ, किसी भी महान व स्थापित व्यक्ति व विचारधारा से आँखें मिला सकता हूँ , बखिया उधेड़ सकता हूँ , यहाँ तक कि मुंशी जी का भी , आदरपूर्वक।बोलता भले अब भी नहीं हूँ, क्योंकि मैं हर विषय पर थोड़ा सबसे अलग और असहमत हो जाता हूँ पर हीनभावना तो तिरोहित हो ही गयी है। आप जानते हैं मैं कितना दब्बू था संस्कारवश। यह मुंशी जी का गुण था कि उनके सामने यदि मैं दीन-हीन दिखना या होना भी चाहता तो नहीं हो सकता था। मैं उनकी सीढ़ियाँ चढ़ने से पहले सिगरेट पी लेता था । एक बार उन्होने ऊपर से देख लिया तो कहा ऊपर आकर पी लिया करो। और ग़ज़ब की बात , मैं इसे अपनी आन्तरिक-आध्यात्मिक ताक़त कहता हूँ । यह भी उन्ही से ,लिया नहीं, डिराइव किया । वह एन्थ्रोपोलोजिस्ट थे।विज्ञान और संस्कृति का समन्वय कोई उनसे सीखता । आपने नाहक़ छेड़ दिया, मुझे आँसू आते हैं। भावना विज्ञान की दुश्मन नहीं। अब मैं कह सकता हूँ कि मैं ईश्वर को वस्तुतः जानता हूँ । वैज्ञानिकता को ईश्वर के चरणों में सबसे बड़ी पूजा मानता हूँ। ये वचन उनके हों न हों , मैंने उनसे निकाले । गुरुडम के वे भी विरोधी थे , मैँ भी हूँ , पर उन्हे मैं अपना गुरु मानता हूँ, और मैंने उनके टक्कर का विचारक आज तक तो कम से कम लखनऊ में नहीं पाया । सब आत्मश्लाघा में मस्त हैं , और बिना विनम्रता के तो ज्ञान आने से रहा। उसी का सूत्र है - विद्या ददाति विनयम् । मैं उनकी दो तिथियाँ (अब याद भी नहीं)मनाना चाहता हूँ, पर मेरी असफलता है कि मैं कुछ भी मित्र, कोई भी संगठन नहीं बना पाया । चलिए त्रास-विषाद-कुंठा से निवृत्त होने के लिए इसे आप से इस तरह शेयर करता हूँ कि हमें कर्मकांड नहीं करना चाहिए । उनकी मृत्यु पर भी कोई कर्मकांड कहाँ हुआ था ? 14/4/2012
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DHOORTATA  AUR  MOORKHTA  KA  KHEL
Albatta , Nirmal baba oopar wale ka yeh sandesh nahi sun paye ki Bachchu , tumhare oopar shikayton ki gaaj girne wali hai , fir bhi sarkar ya nyayalay unka kuchh bigaad nahi sakte . Unhone sara paisa Bank me rakha hai , Income Tax diya hai , Bhakton ne sweksha se diya hai . Unhone to Bhagwan ki kripa ko hi bhakton me banta , bas thoda sa paisa -do - dhayi crore apne paas rakh liya to kya galat kiya ? Ab hum jo log ise bhagwan ka kaam nahi mante , to ise kya kahen ? To yeh sara khel Babaon ki dhoortata aur bhakton ki moorkhta ka hai . Aur jab hazaron bhakt hi ise samapt nahi karna chahte to ek baba bhala ise kyon inkar kar dega ?
14/4/2012

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