गुरुवार, 14 अक्तूबर 2010

कैसा आदमी मैं 7

७ - मैं   ६५ वें वर्ष में चल रहा हूँ | मैं अपने मित्रों से , जो कवि -कथाकार - पत्रकार हैं , कई बार कह चुका हूँ कि वे मेरा कन्डोलेंस लिख लें और मुझसे दिखा लें , जिससे मैं उसे पढ़कर सम्पादित -संशोधित कर दूं | आखिर इतने दिनों तक ' प्रिय संपादक ' रहा हूँ |यह मुझे अच्छा न लगेगा कि उसमे कोई गलत बात या तथ्य चला जाय | लेकिन कोई भलामानुस उसे लिख ही नहीं रहा है | और तब तक , मैंने भी ठान रखी है कि, मैं मरूंगा नहीं |

६ - This instinct should be killed or fulfilled .  [ambiguous]  

५ -  चलिए माँ - बाप का इसी कारण शुक्रिया अदा कर लें कि उन्होंने हमारे लिए एक घर - बार , 
कुछ धन - दौलत बना कर दिया !

४ -    मुझे कहना तो नहीं चाहिए क्योंकि यह शिष्टाचार के खिलाफ है लेकिन सच
बताऊँ   ,मुझे  लगता   है कि भाजपायीज़ हैव नो ब्रेन्स | हार्ट तो खैर नहीं ही है |

३ - हम गंभीर लेखन नहीं करते , लेकिन हमसे ज्यादा गंभीर लेखन कोई कर नहीं सकता |

- मुझे अक्सर लगता है कि मेरे सोचने में कुछ गलती है | शायद मृत्यु तलक ऐसा ही रहेगा |

१  - साधारण जीवन जीते हुए कुछ नाच लिया , गा लिया , रो लिया | कुछ कविता कर ली कुछ
कहानियां लिख लीं , कुछ साहित्य सृजन  कर लिया , तो कौन सा तीर मार लिया ? कौन सा एहसान
कर दिया किसी पर ? मैं  साधारण आदमी से इतर , अलग ,ऊंचा  कैसे हो गया  ? जाने कैसे लोग हो जाते  हैं , उनकी वे जानें  |   
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