*यह भय निर्मूल है कि सरकार यदि कुछ करे यो उसका बड़ा भारी नुकसान हो जायेगा |बीजेपी ने पूरे शासन काल में मंदिर नहीं बनवाया तो क्या उसका जनाधार समाप्त हो गया ?इसी प्रकार यदि कोई सरकार अयोध्या में अपने कब्जे की ज़मीन पर स्कूल या अस्पताल बनवा देती या अब भी बनवा दे तो कोई विरोध नहीं होगा |जनता तो नाराज़ तब होती है जब उलूल्जुलूल हरक़त किये जाते हैं |जैसे ताला खुलवाना ,शिलान्यास करवाना आदि |समस्या को सुलझाने के लिए ईमानदारी से कभी भी,किसी के भी द्वारा , कुछ भी किया जाय तो जनता उसका देर -सवेर स्वागत ही करती है |संशयात्मा विनश्यतिः |तो,इसी प्रकार , अपनी जनता पर भी जो शासन संदेह करता है वह विनाश को प्राप्त होती है ,इसे ऐसा समझा जाना चाहिए |#
* [Bukhari ka bayan 15,oct.] धीरे -धीरे मुस्लिम माइंड की परत खुलती जा रही है |अभी तो मस्जिद को मंदिर में तब्दील करने के बारे में बातचीत करना हराम बताया है | [अच्छा किया जो सवाल पूछने वाले पत्रकार को पीट दिया |प्रश्न करना भी मज़हब में नाजायज़ और हराम है ] |आगे देखिये क्या होता है | फिर भी लोग बातचीत से आस लगाये बैठे है |हिन्दू कह सकता है कि मंदिर तोड़ कर ,जो पर्याप्त सिद्ध हो चुका है ,मस्जिद बनाना हराम क्यों नहीं था जनाब ? इसीलिये कहता हूँ कि सरकार को स्वयं कुछ दो टूक निर्णय लेना चाहिए , सलाह वह वैसे किसी से भी ले |आखिर उसे यह करना तो पड़ेगा ही | सुप्रीम कोर्ट के निर्णय के साथ भी जब हिन्दू या मुस्लिम इसी तरह बदतमीज़ी जारी रखेंगे | तो उसे पहले ही क्यों न कर लिया जाये ? यह सरकार का परम कर्तव्य है |
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