शुक्रवार, 1 अक्टूबर 2010

मान लिया जाय 12

12 - पढ़ा लिखा होने का मतलब होता है साहित्य का पढ़ा लिखा होना | कविताओं  कहानियों का , काव्य - आख्यानों का
पठन- अवगाहन , चिंतन - मनन किये होना या उसमे रत होना |

11 -स्वतंत्रता ,अंततः आएगी तो श्रम से आएगी | और कोई आन्दोलन इसमें सफल न होगा |

10 -कवि लोग फक्कड़ होने का नाटक करते हैं ,लोगों की नज़र में चढ़ने और लोकप्रियता हासिल करने के लिए | क्रान्तिकर्मी भी  यही हथियार अपनाते हैं | जबकि जिम्मेदारियों का पूरी तरह निर्वाह करते हुए भी बखूबी कवि और क्रन्तिकारी हुआ जा सकता है |

9- हम कैसे तो बड़े ज्ञानी बनते है ,जब की यही नहीं जानते की हम कब मरेंगे ?


8 = It is good to remain attached to one. I wo'nt call it faithfulness.Just ,it is, rather easy to handle & operate.
7 - Man is not a domestic animal .

६ - धन्य  हैं  वे  
* धन्य हैं वे , जो जानते हुए भी कि वे असफल होंगे , फिर भी प्रयास किये जाते हैं |
* धन्य हैं वे , जो इस काल खंड में भी तनाव से मुक्त रह लेते हैं |
* धन्य हैं वह  , जो पाँच - पाँच बेटियों के साथ पूर्ण प्रसन्न और तनाव मुक्त रहता है , जैसे मेरा छोटा भाई |

५ -" बुद्ध ने कहा - 'मत मानो' | हम बुद्ध की मान गए  "
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४ -और   यदि  लीक  तोड़ना  ही   परिपाटी  बन  जाय ,  तो   लीक  पर  चलना  भी  परिपाटी  को  तोड़ना  हो  जाता  है  |

३- प्रश्न यह  है कि यदि मुझे सब कुछ मिल गया होता , तो मै क्या खुश हो गया होता ?

२ - शब्दों की , साहित्य में लकीरें हैं पर वहाँ प्रेम ,करुना दया आदि है , घृणा और भेदभाव नहीं है | ज़मीन पर देशों के बीच
  लकीरें नहीं हैं,[ नदियाँ , समुद्र ,सडकें है तो हें ] , पर वहां तफरका है ,युद्ध है , मारामारी है |

1 -   कुछ लोग सचमुच बड़े होते हैं , जैसे महात्मा बुद्ध ,गांधी ,महावीर | इनकी बातें मान लेने से हम छोटे नहीं हो जाते

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