बुधवार, 6 अक्तूबर 2010

kolkata prabas@6,oct. to 7 nov.

१) [यथा कथा ] एक यात्री ने सियालदह रेलवे स्टेशन जाने के लिए एक टैक्सी ली |वहां पहुँच कर टैक्सी वाले ने कहा  -बाबूजी ,आ गए |यात्री ने उधर देखा और बोला -मुझे  बाहरी आदमी जानकर बेवकूफ बनाते हो ? यह allahabad bank है या सियालदह स्टेसन ? सचमुच उस बिल्डिंग पर सबसे ऊपर ,सबसे बड़े अक्षरों में allahabad bank का एड चमक रहा था |

२) फिल्मो को अब दुसरे तरीको से सबके साथ देखना असहनीय बनाया जा रहा है | चाहे वो थ्री idiots हो चाहे दबंग | कभी संस्कृत के श्लोक का सहारा ले कर, तो कभी शारीर में इतने छेद बना देने की धमकी दे कर |

3 /   कोलकाता में   /   शुरू से ही   /   भर कर चलती हैं सिटी बसें   /    रास्ते में ओवरलोड होती जाती  /  ठूंसते जाते हैं लोग
    बीच -बीच में   /  उतरती हैं कुछ /  धक्का -मुक्का करतीं   /
       चढ़ती हैं सवारियां  /  सवारियों को ढकेलती / |
     छः सवारियां  / बैठती हैं ऑटो पर  / आगे तीन ,पीछे तीन  /   सवारियों में नर-नारी  का भेद   /
     नहीं बरता  जाता   /   और आगे बीच में    /    फंसा   बैठता  है  ड्राइवर  / |

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