*1;आज अयोध्या में क्या , पूरे देश में ,जो शांति है,उसका श्रेय हाई कोर्ट के उस निर्णय को है जिसकी बड़ी आलोचना हो रही है | आलोचकों को यह बात ध्यान देनी चाहिए |
*२; इरफ़ान हबीब ,रोमिला थापर तथा अन्य वामपंथी विचारक निर्णय में ऐतिहासिकता का क्षरण देखते हैं |मैं बहस में नहीं पड़ता ,पर पूछता हूँ कि क्या यदि कोई व्यक्ति अपनी सफाई में पुख्ता सुबूत न पेश कर पाए 'तो यह कैसा
न्याय होगा कि उसे नाजायज़ या उसका पक्ष अमान्य कर दिया जाये |
*३; न्याय तो किसी को नहीं मिला | फिर भी दोनों को एक एक कमरा मिला और साथ में एक सीता रसोई | चाहते तो दोनों भाई उसे साझा चूल्हा बना सकते थे ; लेकिन दोनों चाहते है कि उन्हें पूरा घर ही मिले | फिर झगडा कैसे सुलझ सकता है |
* यह भी बहुत ज़रूरी बात है सोचने के लिए कि इतने सारे गुरुओं तथाकथित महात्माओं ,आस्था चैनेलों के होते हुए अयोधता में मंदिर -मस्जिद विवाद अनसुलझा क्यों पड़ा है ? क्या इससे यह सिद्ध नहीं होता कि इन्हें सिर्फ खाने - कमाने ,चेले बनने ,अपना गुरुडम बचने और जनता को मूर्ख बनने से मतलब है और देश की असली समस्स्याओं से इनका कुछ लेना - देना नहीं है | ये देश के ज़िम्मेदार नागरिक नहीं हैं ,और न इनमें कोई आध्यात्मिक , पराप्राकृतिक शक्ति है |
* [क्रमिक हाइकु ] अदालत का / है तो यह फैसला / अच्छा या बुरा / संविधानसम्मत /
मानो न मानो / सुप्रीम कोर्ट जाओ / पूछो उससे / न्यायसंगत क्या है / तब तो मानो | |
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें