*1=ध्यान -योग्य बात यह थी की लखनऊ फैसले से हिन्दुओं की विजय नहीं हुई थी |इसे फ़ौरन स्वीकार करके ,और पूरा ही हड़पने का भाव छोड़ कर मुसलमान हिन्दुओं को इस पराजय का मुंह देखने के लिए विवश कर सकते थे |लेकिन यह नहीं हुआ, फैसले के तुरत बाद |तुरत तो हिन्दुओं ने ही स्वागत किया और अपनी हार से समझौता कर ही लिया था ,पर अधिसंख्य मुसलमानों ने अब फैसले के विरोध में जाकर ,गोया ' विजयी विश्व 'की खिड़की से देखते हुए ,हिन्दुओं को जीतने का रास्ता खोल दिया | तथापि जीत-हार कभी तय नहीं होगा क्योंकि यह मन का मामला है |मन के हारे हार है ,मन के जीते जीत |यह अयोध्या है .,यहाँ वही जीतेगा जो हारने का मन बना लेगा | ईश्वर -अल्लाह समर्पण मांगते हैं ....बाबूजी |
*२=मै जंग जीत गया था ,मगर गज़ब देखो | मैंने सोचा कि मैं हारा ,मैं सचमुच हार गया | [शाइरी]
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