बुधवार, 6 अक्तूबर 2010

vichar gonzo,samay sher 7,oct.6-30 am

*1=ध्यान -योग्य बात यह थी की लखनऊ फैसले से हिन्दुओं की विजय नहीं हुई थी |इसे फ़ौरन स्वीकार करके ,और पूरा ही हड़पने का भाव छोड़ कर मुसलमान हिन्दुओं को इस  पराजय का मुंह देखने के लिए विवश कर सकते थे |लेकिन यह नहीं हुआ, फैसले के तुरत बाद |तुरत तो हिन्दुओं ने ही स्वागत किया और अपनी हार से समझौता कर ही लिया था ,पर अधिसंख्य मुसलमानों ने अब  फैसले के विरोध में जाकर ,गोया ' विजयी विश्व 'की खिड़की से देखते हुए ,हिन्दुओं को जीतने का रास्ता खोल दिया | तथापि जीत-हार कभी तय नहीं होगा क्योंकि यह मन का मामला है |मन के हारे हार है ,मन के जीते जीत |यह अयोध्या है .,यहाँ वही जीतेगा जो हारने का मन बना  लेगा | ईश्वर -अल्लाह समर्पण मांगते हैं ....बाबूजी |  
*२=मै जंग जीत गया था ,मगर गज़ब देखो | मैंने सोचा कि मैं हारा ,मैं सचमुच हार गया |  [शाइरी]

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें