रविवार, 24 अक्टूबर 2010

Chun chun ka murabba

उवाच :    *        हर व्यक्ति तुम्हे अपना नहीं बना सकता | इसलिए ज्यादा लोगों से सम्बन्ध बनाओगे तो इस्तेमाल तो  हो  जाओगे , तुम ठगे ही जाओगे  |  [उपदेश ]

* हिंदी को बहुत बढ़ावा देने के प्रयासों के समक्ष अन्य भारतीय भाषाएँ घुटने टेकने तो नहीं जा रही हैं , ऐसे में हिंदी को इतना बढ़ावा दिया ही क्यों जाए

*  God is our aesthetic sense, Our aesthetic sense is God .

हाइकु :   *    रोया कीजिये     /    सशक्तीकरण तो     /    रोने से होगा     |

*      कर्म नहीं है     /    तो भाग्य ही समझो     /    काम करता     |

* अनसुनना    /    लालच का आह्वान     /    कठिन काम     |           

कविता :  *    यह तुम्हारा समय है
और वह रहा मेरा थोडा दूर खड़ा
मैं अपने समय के पास जाऊं
या तुम मेरे समय तक आओ
तो हम दोनों को
तुम्हारे समय से होकर ही
जाना , गुजरना पड़ेगा |

अब समझ में आया
मैं तुम्हारे साथ क्यों खड़ा हूँ  ?
क्योंकि यह ज़रूरी है
मुझे अपने
समय के पास
पहुँचने के लिए  | #

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