उग्रनाथ'नागरिक'(1946, बस्ती) का संपूर्ण सृजनात्मक एवं संरचनात्मक संसार | अध्यात्म,धर्म और राज्य के संबंध में साहित्य,विचार,योजनाएँ एवं कार्यक्रम @
मंगलवार, 12 अक्टूबर 2010
बड़ा आदमी 6
६ - बड़ा आदमी बनने का मतलब बड़ा बुरा है |
५ --क्या ज़रूरी था कि हर बात पर तुम बोलते ?
हाँ ,ज़रूरी तो था ,हर बात पर मैं बोलता|
अथवा:-क्या ज़रूरी है कि हर बात पर बोला जाये ?
हाँ ,ज़रूरी है कि हर बात पर बोला जाये |
४ -- सवाल ही सवाल है ,कहाँ तक सुनूं ,
हर बात का जवाब है ,कहाँ तक दूं |
३ --मुझे कोई बंधन में बांध नहीं सकता |अपनी प्रिय से प्रिय वस्तु से मै ऊब ही जाता हूँ ,कभी |
२ --विवाह ही अंतिम शरण होगा सभ्यता का |
१ --अब यह तय है कि कुछ कपड़ों को बिना पहने ही रह जाना है अलमारी में |दो ही तीन कपडे शारीर पर चढ़ने के लिए पर्याप्त हैं |फिर तमाम कपड़ों में सर क्या खपाना |पड़ा ही रहने देते हैं इन्हें आलमारी में |
[ see item no 7 pre to 1 ]
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