बुधवार, 6 अक्तूबर 2010

व्यक्तिवाचक संज्ञा 6

६  -शांति   सुलोचन   [ could be my name ]

५  - हिंसात्मक   मेरा  मन 
एक  तब , जब  रेलवे  फाटक  पर  कर -मोटर  सायकिलें  दोनों  तरफ  से  सड़क  बंद  कर  देते  हैं  और  गेट  खुलने  पर  घंटों  लग  जाते  हैं  निकलने  में  |
दूसरे  तब , जब  मोटरसायकिल  सवार  फर्राटे  से  लहराते  हुए  सडकों  पर  चलते  हैं  |
तीसरे  तब  , जब  चार  व्यक्ति  भी  टिकट  खिड़की  पर  खड़े  हों  और  एक  दूसरे  पर  लादे  पड़ें   |

४ - मैं अपने दुश्मन को किसी न किसी प्रकार पूर्व ही आगाह कर देता हूँ की मैं उसकी अदावती भावना को जान गया हूँ , जिससे वह मेरे व्यवहार की शिकायत न करने पाए और मेरी शिष्टाचारिता कलंकित न हो |

३ - बहुत छोटी चाह है की किताब छपे | बहुत बड़ी आकांक्षा  है की किताब न छपे |

२ - पहले विषय ढूंढता था की लिखूं और अभ्यास करूँ | अब विषय ही  विषय दिमाग में हैं , लिखने का समय नहीं है |सोचना पड़ता है किस पर लिखूं किस पर न लिखूं|

१ - - अजीब संवेदनशील आदमी हूँ मैं भी | जो बात किसी ने कही भी नहीं होती है ,उसका भी भला या बुरा असर मेरे ऊपर हो जाता है |अब इसे क्या कहेंगे ? [personal]

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