६ - मैंने वह किया जो मुझे नहीं करना चाहिए था | जो काम मेरे जिम्मे नहीं था , जिसे करने में मैं प्रशिक्षित / प्रवीण नहीं था | फिर भी मैंने किया , एक मनुष्य की हैसियत से | कवितायेँ लिखना , विचार करना , धर्म और राजनीति में दखल देना इत्यादि | अब भला उसे मैं कितना कर पाया हूँगा , वह तो सबके सामने है |
गैर ज़रूरी ही सही , मैंने तो किया |
५ - दिमाग न फिर जाये , कहीं मैं पागल न हो जाऊं | इसलिए लिखता , उदघाटित करता रहता हूँ मन कि बातें -कविता , कहानी . लेख -आलेख , व्यक्तिगत विचार | कदमताल द्वारा मानसिक , सामाजिक , राजनीतिक कार्यक्रम |
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४ * मैं किसी के साथ नहीं रह सकता |. Adjust ही नहीं कर पाता.| अकेलापन ,एकांत या कहें भीड़ में गुम रहना अच्छा लगता है मुझे |
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३ * लोग बोलते है तो मै चुप रहता हूँ | जानता हूँ ,बकवास करते है वे | तब भी मै उन्हें बोलने देता हूँ |
मै जानता हूँ उनके कहने से कुछ नहीं होने वाला , न मेरे विरोध करने से कुछ बदलने वाला |
न जाने कैसे यह ,कहें कि डेमोक्रेटिक व्यवहार मुझमे कब ,कब से घर कर गया है |
मुझे अच्छा लगता है | लोग हांकते रहे है ,मै मुस्कराता रहता हूँ |
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2* पूरे माहोल से निस्पृह रहना , हो जाना मेरी अंतरात्मा का शगल है |
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१ * मुझे अच्छा लगता है जब कोई मेरे मुंह से मेरा निवाला छीन लेता है |
मुझे भ्रम होता है कि वह मुझसे प्यार और मुझ पर भरोसे के कारण ऐसा कर रहा है |
इसका मतलब उसे पता होता है कि मैं उस पर नाराज़ नहीं हूँगा |
इस विश्वास को कायम रखता हु मै
|मैं ऐसे झूठे भी प्यार के भ्रम में जीना चाहता हूँ
तभी |मै अनुभव कर पाता हूँ कि मै मानवता की कोई एक भले लघुतम किन्तु अद्भुत थाती जी रहा हूँ |
यह कोई दूसरी दुनिया में जाने जैसा अनुभव होता है भाई
|इसीलिये इसे आप से शेयर करना ,बाँटना चाहता हूँ
| सचमुच तभी मै महसूस करता हूँ कि मै तो मनुष्य हूँ |
किसी के सुख के लिए एक सीमा तक कष्ट सहना कितना आनंददायक होता है मै कैसे बताऊँ ?
यह तो महसूस करने की बात है ,और अपने में मगन रहने की |
| यह अपनी बडाई नहीं ,केवल विनम्र आत्मस्वीकृति है | ##
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